रविवार, 25 अक्टूबर 2009
बच्चे का साल मे दो जन्मदिन
मैं आपसे एक प्रश्न करता हू आप सोच कर ज़वाब दीजिएगा क्या आपके एक ही बच्चे का एक ही साल मे दो जन्मदिन आता है लगता है आप सोच मे पड़ गये ..... इतना सोचने का नही है हमारे बिहार, झारखंड मे कई बच्चों के एक ही साल मे दो जन्मदिन होते है उनके स्कूल के रिकार्ड मे उनका जन्मदिन कुछ और दर्ज़ होता है जबकि बच्चे का वास्तविक जन्मदिन कुछ और होता है अमूमन ज़्यादतर माता-पिता स्कूल मे दाखिला के वक़्त बच्चे का उम्र कुछ घटा देते है.
शनिवार, 24 अक्टूबर 2009
क्या आप सीधे खड़े है?
आपने कभी ये महसूस किया है की आप सीधे खड़े नही है, आप ही नही कई लोग है जो खड़े होने पर सोचते है की वे सीधे है परंतु 90 डिग्री की स्थिति मे 5 मिनट भी खड़ा होना मुश्किल होता है, आप चाहे तो खुद किसी दीवाल के सीध मे अपने शरीर को खड़ा करके देखे,आप खुद महसूस करेंगे की आपका शरीर सीधा खड़ा नही है.
शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2009
बाबा का शुभ मुहूर्त
शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2009
मेरे विद्वान चाचा
गुरुवार, 16 जुलाई 2009
जनता दरबार
कल यानि १५ जुलाई को झारखण्ड के राज भवन के बिरसा मंडप में माननीय राजपाल महोदय के द्वारा 'जनता दरबार' का आयोजन किया गया,राज्य के लगभग सभी बड़े अधिकारी इसे सफल बनाने के लिए वहां मौजूद थे परन्तु आज के अख़बारों को हम यदि देखे तो पाते है की किसी भी फरियादी का कोई भी फरियाद तत्काल जनता दरबार में सुनवाई नहीं हुआ राज्यपाल महोदय द्वारा स्वय फरियादियों से उनके पास जाकर आवेदन लिए गए, सभी आवेदन पर ७ दिनों के अन्दर करवाई करने को कहा गया. अब सवाल ये उठता है की क्या वाकई ७ दिनों के अन्दर सचमुच करवाई हो जायेगी, क्या सरकारी तंत्र का घोड़ा इतनी तेज़ दौड़ पायेगा ये तो ७ दिनों के बाद ही पता चलेगा परन्तु एक सवाल बारबार मेरे मन में उठता है की समूचे सरकारी तंत्र के मौजूद होने के बाद भी ७ दिन या ७ घंटे क्यों,सारा विभाग वहीँ है तो तुंरत निबटारा क्यों नहीं. न्याय और आस लेकर बड़ी दूर - दूर से लोग खाली पेट आते है, घंटो इंतजार करते है की मेरी समस्या सुनी जायेगी मुझे न्याय मिलेगा पर बस वे और उनकी समस्या या कभी उनके फोटो अख़बारों में छप कर सिमित हो जाते है नाम जनता दरबार होता है जनता आस लागए आते है और निरास होकर जाते है
बुधवार, 15 जुलाई 2009
मिलावट का धंधा
बुधवार, 3 जून 2009
कचहरी नामा (४) एक परिवार है कचहरी
परन्तु एक नाम है कचहरी, जो दिलों-दिमाग में खौफ को पैदा करता है जो कभी कचहरी नहीं गए हो उनके दिमाग में ये बात हमेशा बैठी रहती है कि कचहरी में सिर्फ गलत लोग ही जाते है कचहरी में कदम रखना यानि अपनी इज्ज़त का फतुदा निकालना होता है जबकि ऐसी कोई बात नहीं होती कचहरी में भी इसी ग्रह के प्राणी रहते है कोई अन्तरिक्ष से आकर किसी के इज्ज़त या प्रतिष्ठा को हर नहीं लेता बल्कि आप पर लगे किसी ऐसे इल्जाम जो जाने अनजाने आपसे हो गया हो या नहीं भी हुआ हो पर आपका नाम उसमे शामिल हो गया हो तो समाज में आपकी खोई प्रतिष्ठा, इज्ज़त को वापस लाता है कचहरी।
हम बात कर रहे थे शादियों की ......आपने कई बार सुना होगा की किसी के घर वाले शादी के लिए राजी नहीं थे तो उनलोगों ने कोर्ट में शादी कर ली या मजाक में कहते होंगे की कोर्ट मैरिज कर शादी का खर्चा बचाऊंगा ...कोर्ट में शादियाँ होती है स्पेशल मैरिज एक्ट के तहद जिसमे कोई भी बालिग लड़का-लड़की स्वेच्छा से तीन गवाहों के साथ उपस्थित हो कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन दाखिल कर ३० दिनों उपरांत विवाह कर सकता है तथा विवाहित भी,कोर्ट में आवेदन कर मैरिज सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते है वैसे भी आजकल विदेशों में नौकरी कर रहे विवाहित लोगों को मैरिज सर्टिफिकेट देना पड़ता है
इसी तरह इस संसार में कई ऐसे लोग है जो अपने विवाहित जीवन के बंधन से खुश नहीं है उनके जीवन साथी उनकी इच्छा के अनुरूप नहीं है वैवाहिक जीवन में विवाद है,विवाह के बंधन को तोड़ना चाहते हो उनके लिए फैमिली कोर्ट है जहाँ वे विवाह विच्छेद के लिए आवेदन दे सकते है इसके लिए किसी वकील को नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं है परन्तु चाहे तो वकील की सलाह ले सकते है .......
.परिवार के ऐसे लोग खास कर पत्नी, संतान,माता-पिता जो अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो, अपनी भरण-पोषण के लिए दावा कर सकते है ......
जिनको संतान नहीं है और किसी अनाथ या अन्य को गोद लेकर दत्तक पुत्र या पुत्री बनाना चाहते हो तो कानूनी प्रक्रिया पूरा कर गोद ले सकते है .......
आगे के लेख में हम जारी रखेंगे कोर्ट मैरिज,विवाह विच्छेद,भरण-पोषण के लिए दावा,दत्तक पुत्र या पुत्री को कैसे प्राप्त कर सकते है उसके लिए कानून की प्रक्रिया क्या है .......चलिए हम मिलते रहेंगे .....अच्छा लगे तो समर्थन कर हौसला बढाइये ,टिप्पणी कीजिये ख़राब हो तो भी टिप्पणी करे कचहरी नामा के सफ़र का आनंद लेते रहें
मंगलवार, 2 जून 2009
कचहरी नामा(३)पेशकार से पंगा
मेरा ब्लॉग पीछे क्यूँ
सोमवार, 1 जून 2009
कचहरीनामा (२)दर्द की दवा
रविवार, 31 मई 2009
कचहरीनामा
रविवार, 24 मई 2009
बिना प्याज़-लहसुन के
रविवार, 3 मई 2009
आओ इस गर्मी का आनंद लें
आप कल्पना करते होंगे सर्दी के मौसम में धुप की, गर्मी के मौसम में छाया, ठंढी हवा की पर क्या आपने कभी इन दिनों हो रहे तपिस ......गर्मी का आनंद लिया है .नहीं ना ... आप गर्मी से मत घबराइये........ आनंद ले ,मौसम का आनंद ....आपने द्वारा प्राकृतिक से छेड़छाड़ करने ,नदी -नालों को बंद कर उस पर घर बना कर रहने ,पेड़ -पौधों को काटने ,तालाब को समतल मैदान बनाने धरती माता के शरीर में छेद बोरिंग कर धरती के अन्दर के पानी को बाहर निकल निर्दयतापूर्वक ख़त्म करने का आनंद का ही तो दूसरा नाम सूर्य देवता की प्रचंड प्रकोप है ये गर्मी ............उफ़ ये गर्मी ..............हाये ये गर्मी ........ ये मेरे ही शहर का नहीं पुरे देश का यही हाल है ..........कभी मेरा शहर दूसरा शिमला के नाम से जाना जाता था ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी हमारी रांची, आज सिर्फ़ राजधानी है और हमलोग राजधानी की कीमत चुका रहें है अचानक आए बढती जनसँख्या ,आबादी के साथ गाड़ियों के द्वारा फैलते प्रदुषण, हरे भरे जंगलों की जगह कंक्रीटों के उग आए नए आसियाने जिसे गर्व से हम मनुष्य फ्लैट कहते है जिधर देखो उधर नज़र आयेंगे ये नये जंगल ..............और इस जंगल बनाने की कीमत है.... धरती को छेद कर धरती के नसों में बहने वाले लहू यानि हमें जिंदा रखने वाली बेशकीमती अमृत ज़ल,पानी water या हम जो भी नाम दें निकाल लेना, बहा देना उस वक्त हम कल्पना भी नहीं करते की ये अमृत है परन्तु आज जब गर्मी चरम पर है तो हम उसी पानी के लिए तरस रहें है ......... हमारा शहर जहाँ पारा ३७ डिग्री पार करते ही वर्षा होना था गर्मी के दिनों में भी रात को सोते समय चादर की ज़रूरत पड़ती थी आज हम ४३ डिग्री पारे का आनंद ले रहे है या यों कहे की भुगत रहें है तो कोई अतिशोक्ति नहीं होगी ..........बड़ा मज़ा आ रहा है न तो दिन में चैन न ही रातों को ठीक से नींद आती है और ये गर्मी कहती है की बेटा या तो आनंद तो या फ़िर भुगतो हम तो गर्मी का आनंद ले रहें है आप क्या कर रहें है ...?
बुधवार, 22 अप्रैल 2009
क्यों किसी को नाराज़ किया जाए।
मंगलवार, 21 अप्रैल 2009
धन्यवाद ३६५
कल ३६५ न्यूज़ चैनल के द्वारा रांची जिला स्कूल परिसर में देश के प्रमुख दो राजनितिक पार्टी कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के जिला स्तरके नेताओं के साथ जनता का अदालत का लाइव टेलीकास्ट किया जिसमे वर्तमान रांची के विधायक भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ज़नता के सवालों के आगे इन नेताओं के पसीने छूटते साफ दिखाई पड़ रहे थे, इनकी बेशर्मी देखिये की सवाल कुछ होता तो ज़वाब कुछ दे रहे थे बाद में इस बिन्दु पर प्रशन किया गया तो इनकी हालत ख़राब थी दोनों ही राजनितिक पार्टी सिर्फ़ एक-दुसरे पर आरोप लगा बचना चाह रहे थे परन्तु जनता के उग्र प्रश्न इनकी इनकी पोल खोलने लगी मेरे ख्याल से कल पहली बार इन्हे जनता के वजूद का अहसास हुआ होगा ................... इसके इसके भी मैं समझ सकता हूँ की ये गैंडा से भी मजबूत खाल वाले प्राणी सत्ता में आने के बाद कुछ नहीं करेंगे क्योंकि ३६५ न्यूज़ चैनल न तो प्रत्येक वर्ष इस तरह का कोई कार्य करेगा न ही उनसे प्रेरित हो कोई अन्य जनता को जागरूक करने करने के लिए प्रयास करेगा ये चुनाव की आंधी है हर रंग के हवाओं का सिर्फ़ दिखाई दिया रहना जारी रहेगा ...............................जय हिंद
सोमवार, 20 अप्रैल 2009
नागपुरी फिल्म 'झारखण्ड कर छैला' का ट्रेलर
झारखण्ड में क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों का बनना काफी पहले से शुरू हो चुका है फ़िल्म एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिये आपनी बात लोगों तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है वैसे यदि हम कामर्सियल फिल्मों की बात को यदि छोड़ दे तो कई ऐसी फिल्में है या फ़िर कहें कई इसे निर्देशक है जिनकी फिल्म उनकी सोच, उनकी बौद्धिक स्तरको बताता है इन दिनों झारखण्ड में काफी फिल्में मसलन, डाक्यूमेंट्री, मनोरंजक ,एजुकेशनल, विज्ञापन फिल्म बन रही है इन्ही फिल्मों की एक कड़ी है 'झारखण्ड कर छैला' जिसे क्षेत्रीय बोली 'नागपुरी' में बनाया गया है, जिसे जल्द ही सिनेमा घरों में दिखाया जायेगा\ फिल्म का ट्रेलर आप यहाँ देख सकते है, साथ ही चाहें तो http://www.youtube.com/watch?v=Rx_lLHCcJm0पर भी देख सकते है
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009
सावधान
तुम्हारे असंख्य नसों की
अँधेरी सुरंगों में
यह ईमानदारी का रोग
कही न कही भटक रहा है
सावधान
वह एक ईमानदारी आदमी है
सावधान
उससे दूर रहों
सावधान
वह अछूत है
सावधान
उसके समीप आने से
ईमानदारी का रोग लग सकता है
सावधान
ईमानदारी लाइलाज बीमारी है
वह भूखा है
उसका परिवार भूखा है
हर रोज ये
ज्वालामुखी की तरह
निकलने को
बेचैन रहता होगा
परन्तु सावधान
कहीं
ये तुम्हे
रोगग्रस्त न कर दे
ईमानदारी का रोग न लगा दे
वैसे
बाज़ार में
ईमानदारी का एंटी वाय्टीक
भ्रस्टाचार,बेईमानी मौजूद है
बिना मोल उपलब्ध है
क्या चाहोगे
ईमानदारी?
नहीं ना
इसे बस
अपने अन्दर
असंख्य नसों की
अँधेरी सुरंगों में
भटकने दो
ज्वालामुखी पनपने दो
विस्फोट कभी तो होगा
सावधान,
ईमानदारी तुम्हारी नसों में जिंदा है
गुरुवार, 16 अप्रैल 2009
एक था राजा

रविवार, 5 अप्रैल 2009
बदल दो हवाओं का रुख
शनिवार, 4 अप्रैल 2009
शब्द
बुधवार, 1 अप्रैल 2009
बा मुलाहिज़ा होशियार..
बा मुलाहिज़ा होशियार ...आपके दरवाज़े फिर वही चेहरा रूप बदल कर आ खड़ा होगा, जिसकी धुंधली सी तस्वीर शायद आपको याद होगी ...ये वही लोग है जो पिछली बार आप से मिले थे ...बहुत पहले ...करीब पॉँच साल पहले..आपको देख कर मुस्कुराएँ थे .. आपसे गले भी लगे होंगे परन्तु उसके बाद ये अदृश्य हो जाते है ...आपसे आपकी इच्छानुसार वायदे कर आपके ज़ज्बातों से खेल ये खिलाड़ी न जाने कहाँ गायब हो जाते है ये आपको सूचना अधिकार से भी नहीं पता चलेगा ..होशियार ....होशियार ..वक़्त है पहचानने का...इनके चेहरों को पहचानिये ..ये रूप बदलने में बहुत माहिर है .....ये आपकी आवाज़ में भी बोल सकते है..आपके ब्लॉग तक पहुँच सकते है .. आपका सब ब्लोक करा सकते है .. अच्छे दूकानदार है सब कुछ बेच सकते है ..बोलने में माहिर की मुर्दा भी उठ इनके पक्ष में चलने लगे ... होशियार ..ये वही लोग है ..जिनके पास पॉँच साल पहले कुछ नहीं था परन्तु अब खरबों की सम्पति है, ये दयावान है अपनी सम्पति का कुछ हिस्सा विदेशों में भी रखते है ....हो सकता है आपसे मुलाक़ात में 'कुछ' आपको मिल जाये ......परन्तु होशियार ये गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले है आपसे फायदा दिखा तो आपके दरवाज़े नहीं तो 'युवा' है न देश की धड़कन उसका भी इस्तेमाल किया जायेगा ..मेरे देश के 'युवा' सावधान ..होशियार ...ये तुम्हारे भी नहीं है ..काम निकल जाने के बाद ये तुम्हे दूध की मक्खी की तरह निकल फेकेंगे ....उठो ..जागो ...कोई तुम्हारे कन्धों का इस्तेमाल करे उसे पलट ज़वाब दो ..जागो ..आपने मताधिकार का प्रयोग करों और दुसरो को भी प्रेरित करो ताकि आपने देश का वही रूप तुम जागते हुए भी देख सकते हो जो तुम अक्सर सपने में देखते हो ..उसी भारत की तस्वीर जब तुम बेचैन होते हो तो तुम्हे प्रेरणा देती है ...उठो ..जागो ..चाँद लोगों की उंगुलियां पर नाचने वाली कठपुतलियां मत बनो अपने मताधिकार का सही उपयोग करों,चुनाव के दिन वोट ज़रूर दो, बोगस वोटों का तुंरत वही विरोध करो .
मंगलवार, 31 मार्च 2009
आओं इस लूट में शामिल हो जाओ
जी हाँ! मेहरबान ..कदरदान ...मेजबान ... आइये ..इस खुली लूट में आप भी शामिल हो जाइये ...क्या कहा आपने ....आप शरीफ है ... और आप ..अच्छा... आप खानदानी है... और आपने क्या कहा ज़नाब ... वो तो आप फालतू बातों पे ध्यान नहीं देते ...वाकई ! मज़ा आ गया यहाँ तो सभी समझदार लोग है ...क्या कहा आपने यहाँ कोई लूट नहीं है ..मैं बकवास कर रहा हूँ ..अरे नहीं मेरे भाई जरा गौर से देखिये ..आज हमारा सरकारी खजाना खाली हो जायेगा क्योंकि आज ३१ मार्च है...सरकारी खजाने की लूट मची है ..आइये शामिल हो जाइये ..कोई भी बिल पास करा लीजिये, क्या कहा आपने ..आप ठेके का काम पूरा नहीं कर पायें और आप सड़क का .. अपने विभाग का.. शिक्षा का..वगैरह- वगैरह कोई भी काम पूरा नहीं कर पाए.. कोई बात नहीं यहाँ कागजों पर पूरा कर ले, भुगतान मिल जायेगा बस हुजुर मेरा ध्यान रखियेगा ...मेरा कमीशन..... ठीक है समझ गए न ..हाँ तो भाइयो लूट लो ...लूट लो ..क्या कहा आपने मैं गन्दा आदमी हु मेरे विचार गंदे है ..तो भैया ज़रा अपने गिरेबान में झांक कर तो देखो जब सड़कों की मरम्मती के नाम पर मिटटी भरे गए थे, अच्छी सड़कों को तोडा जा रहा था, तालाब के नाम पर तालाब बनी ही नहीं थी, हर मार्च पर सड़के बनती है और एक ही बरसात में टूट जाती है तो देख कर भी आप चुप क्यों रहते है, विरोध क्यों नहीं करते आपकी मौन उनके हौसलों को बढाती है ...गिनती के चंद लोगों की लूट में हमारा चुप रहना उसकी लूट में हमारी मौन सहमति है ..आइये ज़नाब ..मुहं खोलिए कुछ तो बोलिए विरोध नहीं कर सकते तो कम से कम चिल्लाइये तो ...या फिर १ अप्रैल को मुर्ख बन फिर से लूटने की तैयारी कीजिये
बुधवार, 25 मार्च 2009
हारा हुआ सेनापति
धन्यवाद्
शुक्रवार, 13 मार्च 2009
"संस्कृति"
मानव अपने उदभव काल से अब तक अपने जीवन पथ में कार्यों की कुशलता को ग्रहण करता हुआ उसे विशेष आकार, विशेष रूप प्रदान करता रहा है जिसे आने वाली पीढी उसे ग्रहण करती रही है, समय के बीतने के क्रम में समाज में बदलाव एवं नवीनतम वस्तुए मूर्त-अमूर्त का ग्रहण सर्वोपरि है वस्तुतः संस्कृति अदृश्य होने के बावजूद चलायमान है समाज के नवीनतम ग्रहणों का प्रभाव संस्कृति पर पड़ता है
नवीन काल चक्रों के संस्कृति पर पड़े प्रभाव की वज़ह से हमें ऐसा नहीं मानना चाहिए की उसका स्वरुप बदल जायेगा क्योंकि संस्कृति के स्वरुप में बदलाव नहीं आता उसमे आधुनिकता का समावेश हो सकता है परन्तु उसका स्वरुप वही पुरातन होगा
लोक संस्कृति वास्तव में संस्कृति का ही रूप है जो किसी सम्पूर्ण राष्ट्र की संस्कृति नहीं बल्कि प्रान्त या क्षेत्र-विशेष की संस्कृति यानि क्षेत्र- विशेष का रहन-सहन, पहनावा, बोल-चाल, खान-पान, उस क्षेत्र- विशेष का पर्व, उनकी कार्य शैली, उनके जाति विशेष का लगाव है.
किसी भी राष्ट्र की विशेष संस्कृति उनके क्षेत्र के भौगोलिक वातावरण के प्रभाव से बनती है. जो अलग-अलग क्षेत्र में अलग होती है. मैदानी क्षेत्रों की संस्कृति,पर्वतिये क्षेत्र की संस्कृति, सीमा प्रान्त की संस्कृति, समुन्द्र तटीय संस्कृति, नदी क्षेत्र की संस्कृति सभी एक दुसरे से मिली होगी और एक दुसरे से इसमें संमिश्रण भी देखने को मिलेगा क्योंकि हम जानते है की संस्कृति ग्रहण करने का नाम है और यह स्वत ग्रहण होती है तथा आसानी से सीखी जाती है.यही भिन्न-भिन्न संस्कृति लोक संस्कृति की संज्ञा प्राप्त करती है जिसके अंतर्गत उस क्षेत्र की कला, कहानी, नृत्य, नाटक, संगीत, आदि का विशेष प्रभाव होगा उसकी शैली की भिन्नता होगी जो उसकी विशेष पहचान बनती है
बुधवार, 11 मार्च 2009
अपनी होली

होली खेलने के रंग है निराले
कोई अपने ही गालों पे रंग डाले
कोई दूसरो के गालों पे रंग उडाले
फागुन में बुढ़वा बौराया
थक गया, हाफ़ते-हाफते
दांते निपोर बोला
बुरा न मानो होली है
लड़को की टोली निकली
गाजे-बाजे के साथ
शेरों-शायरी और ...

होलियाना मूड के गानों पर
थिरकते युवा कदम
जिनकी है
अपनी ही एक अलग रंग
अरे.....
भागो... दौडो ......
पकडो .....
अरे रंग डालो ...
बुरा न मानो होली है
नाचे हर कोई अपनी ताल पे
रंग लगावें दूसरों की गाल पे
कपडा दिया फाड़
चिल्लाकर बोलें
बुरा न मानो होली है
खन्ना साहब बैठे घर पे
आयें रंग लगाने दो-चार

खन्ना बोले
यार
अपनी होली तो
महंगाई के रंग में
'हो' 'ली' है
महंगाई के रंगों में
हमने खूब खेली होली
नेताओं के आश्वाशन को
पुआ-पकोड़ी समझ खा ली
तुम्हारे रंगों का असर तो
कुछ घंटों का है
महंगाई का रंग तो भैया
छूटाये नहीं छूटेगा
वायदा कर गया है
फिर से आने का
न जाने
फिर कौन सा
गुल खिलाएगा
बुरा न मानो होली है
महंगाई और होली
मंगलवार, 10 मार्च 2009
रविवार, 1 फ़रवरी 2009
आज ऐसे दिख रहे थे साईं बाबा

शनिवार, 31 जनवरी 2009
साईं को समर्पित
साईं को समर्पित यह विडियो जिसे कलकत्ता के नेत्रहीन कलाकारों के द्वारा श्री साईं मन्दिर ,लापुंग,रांची में प्रस्तुत किया गया था जिसकी मात्र ३ मिनट की विडियो क्लिपिंग ....जिसके धन्यवाद् के पात्र वे कलाकार है ..साईं उनकी मनोकामना पुरी करें।
(ब्यंग्य) कम्बल का सच ..
शनिवार, 24 जनवरी 2009
बस यूँ ही ...
जनता सो रही है
जो करना है कर लो
दो के चार बनाना हो
या दो के बीस कर लो
जनता सो रही है
जो करना है कर लो
समस्याओं को बढ़ने दो
चैन से हमें सोने दो
नेता बनना आसान है
नेतृत्व करना मुश्किल
हम जनता है
सब जानते है
तुम्हारी काली करतुतों में
हम भी साथ रहतें है
जनता सो रही है
कुछ तो खो रही है
मेरा क्या
मै तो मात्र
जनता का अंश हूँ
सब झेल रहे है
मैं भी दंश
झेल रहा हु
सब करते है
मसीहा के आने का
इंतजार
मै भी करता हु
सब कुछ ना कुछ
‘कमा‘ रहे है
मैं भी उनका अंशदार हूँ
जनता सो रही है
मौका अच्छा है
जो करना है कर लो
बुधवार, 21 जनवरी 2009
रविवार, 18 जनवरी 2009
OFFLINE ब्लॉग लिखने केTIPS
नाटक: चरणदास चोर का मंचन
हबीब तनवीर द्वारा लिखित,संजय लाल द्वारा निर्देशित एवं देशप्रिय क्लब,रांची द्वारा प्रस्तुत नाटक चरणदास चोर का मंचन पिछले दिनों किया गया . चरणदास चोर एक ऐसे चोर की कहानी है जो मजाक ही मजाक में आपने गुरूजी को सच बोलने का प्राण दे देता है साथ ही चार और प्रतिज्ञा कर लेता है की कभी सोने की थाली में नही खाएगा न ही कभी किसी रानी से शादी करेगा, न ही कभी किसी जुलुस में हाथी पर बैठ कर निकलेगा , न ही कभी किसी देश का राजा बनेगा . और बिना कोई झूठ बोल कर चरनदास चोरी करता है उसके ईमानदारी का डंका पुरे देश में ब़ज उठता है .वह अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी चोरी राजमहल के खजाने से करता है , उसकी सच्चाई से रानी उस पर मर मिटती है और उस से शादी करना चाहती है परन्तु गुरु को दिए वचन के अनुसार चरणदास मना कर देता है जिससे गुस्से में आकर रानी उसे मौत की सज़ा देती है आपने गुरु को दिए वचन को निभाते हुए चरणदास मौत को गले लगा लेता है. मूल रूप से चरणदास चोर एक छतीसगडी नाटक है जिसके मंचन देशभर में होते रहते है .इस प्रस्तुति में सभी कालकारो ने अपनी भूमिका को अच्छी तरह निभाया , खास कर गुरु की भूमिका में दीपक चौधरी ने काफी प्रभावित किया. एक अच्छी नाटक की प्रस्तुति के लिए संजय लाल और उसके टीम के लोग बधाई के पात्र है
रविवार, 11 जनवरी 2009
ब्यंग "देखो कुत्ता .... कर रहा है ..
मैं सबसे पहले उन लोगो से माफ़ी मांग ले रहा हूँ ,जिन्हें यह पढ़कर अश्लील आ असभ्य लगे...
अब मै अपनी बात शुरू करता हूँ मेरी किस्मत आज कुछ ज्यादा ही ख़राब थी,मुझे बड़ी जोर की लघुशंका लगी थी,मैंने देखा कई लोग खुली सड़क के किनारे दीवाल के पास लघुशंका निवृत हो रहे है.
मै भी उस दीवाल के पास पहुचा की मेरे पैर थम गए ,दीवार पे लिखा था यहाँ .......... करना मना है.. मै क्या करता पढ़ा - लिखा, ग्रेजुएट ..किसी जाहिल की तरह वही पर तो लघुशंका नही कर सकता था , लोग क्या सोचेंगे खैर ..... थोडी दूर आगे बड़ा , प्रेशर जोर की थी .. आगे कुछ दूर पर किनारे की तरफ़ एक दीवाल दिखाई दी उसके नीचे से नाली बह रहा था मुझे यह जगह अच्छी लगी , मै वह पहुचा.. पर यह क्या ..यहाँ भी वही पैगाम बल्कि यहाँ तो जोरदार तरीके से लिखा था .. यहाँ ....करने पर २०० रुपैया जुर्माना लगेगा... मै सोचने लगा ये क्या बात हुई ..बड़ी अजीब बात है गाड़ी नो पार्किंग में लगे तो ट्राफिक वाला तो ९०/- रुपया ही चार्ज करता है परन्तु यहाँ नो पार्किंग पर २००/- तो ज्यादा है, मै किसी तरह आपने प्रेसर को अड्जेस्ट करता हुआ आगे की तरफ़ निकल पड़ा शायद कोई बढ़िया ज़गह दिखे तो मै आपनी 'प्रेशर' वहीँ छोड़ आऊं . करीब १२० सेकेंड के बाद एक सुरछित ज़गह दिखाई पड़ी , जैसे ही मैंने वहां पहुँच कर आपनी zip खोली ही थी कि किसी की कड़कदार आवाज़ सुनाई पड़ी .. पीछे मुड कर देखा तो.. कोई रिक्शेवाला को आवाज़ दे रहा था मैंने चैन की साँस ली.. पर यह क्या यहाँ भी दीवाल पर लिखा था यहाँ पर ..... करने पर मार पड़ेगी ..मेरी हालत तो वैसे ही ख़राब थी इस चेतावनी को पढ़ कर तो मेरी स्थिति और भी नाज़ुक हो गई पर मरता क्या न करता मुझमे प्रेशर रोकने की ताक़त नही थी और मुझे मालूम है की आपमें भी इसे रोकने की ताक़त नहीं होगी खैर.. मेरी स्तिथि तो इतनी ख़राब हो चुकी थी की, नल कभी भी खुल सकता था पानी की बुँदे कभी भी टपक सकती थी ... इतने मे मुझे याद आया की पास में ही तो सरकारी मूत्रालय है ,बेकार में ही मै परेशां हो रहा था, हमलोग की भी एक बेकार सी आदत है जब कभी खाली बैठेंगे या गप्पे मारेंगे तो सरकार को गाली जरुर बकेंगे ... अब देखिये सरकार हमलोगों का कितना ध्यान देती है सरकारी मूत्रालय बना कर रखी हुई है और हम है कि बेकार में ही परेशां हो रहे थे ... यह अलग बात है कि अख़बार वाले सरकारी मूत्रालय घोटाले पर क्या-क्या नही छापे ....अख़बार वाले के हिसाब से देखे तो इस पर कितने नेताओ,अफसरों, कलर्क ठीकेदार सभी को लाखो का मुनाफा हुआ ..पर कोई मेरी नज़र से तो देखो ,मेरे प्रेशर कि नज़र से तो देखो ..तब पता चलेगा नगर निगम वालों ने कितना अच्छा काम कि है ..सरकारी मूत्रालय खोल रखे है .. नही तो तेरा क्या हाल होता खन्ना, इज्ज़त का फलूदा तो निकल ही जाता मै सरकारी मूत्रालय के अन्दर जा घुसा कि वहां कि हालत देख मेरा माथा धूम गया... लगता है सरकारी मूत्रालय को कई लोगों ने संडास बना दिया था , .. इधर-उधर बिखरे परे थे ..छी.. छी.. इतना गन्दा एक तो मेरी हालात ....कि प्रेशर से ख़राब थी और ऊपर से ये सब ..किसी तरह वहां से निकला और बर्दाश्त कि हद तो पार हो चुकी थी झट एक दीवाल के नीचे खड़ा होकर ...कि प्रेशर को छोड़ दिया ......साँस रोका और थोडी देर में एक लम्बी साँस छोड़ी ...फ़िर एक लम्बी साँस लिया ...वाह .. आनंद आ गया ..कितना आराम लगता है ..आप सभी ने भी तो इस आराम को कई बार अनुभव किया होगा ...मै पीछे कि तरफ़ मुड कर वह से निकल पड़ा ...कुछ कदम चलने के बाद मैंने सोचा उस दीवाल को कम से कम धन्यवाद् तो दे दूँ ..उस दीवाल ने मेरी इज्ज़त बचा ली नहीं तो आज कुछ भी हो सकता था ...मै दीवाल को धन्यवाद् देने के लिए जैसे ही मुड़ा कि मेरे शब्द मेरी ज़ुबां पर ही अटक गए ... दीवाल पर लिखा था "देखो कुत्ता ....... कर रहा है"
गुरुवार, 8 जनवरी 2009
धारा के साथ ..
धारा के विरुद्ध
चलते-चलते
पता नही ....
किस मोड़ पर
धारा के साथ हो गया
आराम से बहते - रह्ते
आराम की आदत हो गई
पर...
जब...
आँखे खुली तो ..
मेरी आवाज़ की
बुलंदी
ना जाने
कहां खो गई।
समझा
धारा के विरुद्ध और
धारा के बहाव में
आदमी
क्या पाता है
और
खोता है।
शुभ प्रभात....आपका आज का दिन मंगलमय हो