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सोमवार, 30 जनवरी 2012

कितना वक़्त चाहिए....3

कल आपने पढ़ा  सम्पूर्ण छोटानागपुर क्षेत्र में अधिनियम का उल्लंघन एवं राजस्व मंत्री का स्टेटमेंट जिसे हमने स्थानीय अख़बार के माध्यम से आपको जानकारी दी थी ......पर अब सवाल उठता है की क्या वाकई वैसा  होगा जैसा  की मंत्री जी स्टेटमेंट है या फिर मामले उसी तरह दब जायेंगे जैसे आदिवासी मामलों में होता है ......छोटानागपुर काश्तकारी अभिनियम की धारा 71 A में धारा 46 के उल्लंघन के बदले भूमि वापसी का प्रावधान है ,हमारे राज्य के कई नेता, पूर्व मंत्री इस धारा के खिलाफ है ,उनका कहना है की इस धारा की गलत ब्याख्या कर SAR कोर्ट मामले को उल्टा कर वापसी की जगह कम्पंसेसन कर देते है इस काम के लिए कोर्ट वकीलों के साथ मिल कर धन उगाही करता है पैसों के लिए झूठी  गवाही के आधार पर पहले से तय आदेश देता है .......भूमि वापसी के आदेश कम और कम्पंसेसन के आदेश ज्यादा देते है ......इन  नेताओं  कई बार SAR कोर्ट को बंद  करने  के लिए रैली -जुलूस निकल चुके है ..... खैर ...इन सबसे  हट  कर    

रविवार, 29 जनवरी 2012

कितना वक़्त चाहिए....2

कल हम चर्चा कर रहे थे की छोटानागपुर के लिए विशेष "छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम " है जिसके कई धारा यहाँ की भूमि के खरीद - बिक्री से सम्बंधित है ...................वर्तमान सम्पूर्ण झारखण्ड में खास कर छोटानागपुर क्षेत्र में जहाँ यह एक्ट प्रभावित है ...आज - कल  इस एक्ट की धारा 46  चर्चा में है क्योंकि धारा 46 में जहाँ यहाँ की अनुसूचित जनजाति की  भूमि के लिए एक ही थाना क्षेत्र के खरीददार का होना एव अनुसूचित जनजाति का  होना जरुरी है वही इसी धारा में यहाँ के अनुसूचित जाति की भूमि के खरीद - बिक्री के लिए सम्बंधित जिले का निवासी एव अनुसूचित जाति का होना तथा BC CLASS  की भूमि खरीद - बिक्री के लिए भी BC CLASS  का एव सम्बंधित जिले का होना जरुरी है ........और भूमि के खरीद - बिक्री के लिए जिला उपायुक्त से भूमि खरीद - बिक्री के पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है ........ वैसे तो इसे पढने पर कोई विशेष बात नहीं दिखाई पड़ती है परन्तु अब हम यह कहे की सम्पूर्ण छोटानागपुर क्षेत्र में उपरोक्त अधिनियम का उल्लंघन किया गया है तो इधर ध्यान चला जाता है .......वर्षों से छोटानागपुर क्षेत्र में इस अधिनियम का उल्लंघन होता रहा ....सम्पूर्ण छोटानागपुर  क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए तो उपायुक्त की अनुमति तो ली जाति रही पर अनुसूचित जाति एव BC  क्लास के लिए उपायुक्त से कोई अनुमति प्राप्त नहीं की गई यहाँ तक की  अनुसूचित जाति एव BC क्लास की जमीने अन्य वर्ग के लोगों ने खरीद ली वह भी रजिस्ट्री ऑफिस से बजाप्ता रजिस्ट्री करवा कर ,सरकार द्वारा तय निर्धारित मूल्य का स्टाम्प ड्यूटी चूका कर ......ऐसे भूमि का सम्बंधित अंचल में दाखिल ख़ारिज भी हो गया ........अब सरकार की नींद टूटी है झारखण्ड हाई कोर्ट के आदेश पर जहाँ कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया की किसी भी कानून को अध्यादेश से या फिर आदेश से समाप्त नहीं किया जा सकता ..............इस स्थिति में सरकार के समक्ष अजीब सी स्थिति पैदा हो गई है......की क्या करे ........खुद कई सरकारी नौकर शाह  भी इस तरह की भूमि को खरीद चुके है ............... झारखण्ड के भू - राजस्व मंत्री ने भी इस पर कड़े कदम उठाने के संकेत दिए है  जिसे इस लिंक में आप देख सकते है  http://epaper.prabhatkhabar.com/newsview.aspx?eddate=1/28/2012 12:00:00 AM&pageno=1&edition=9&prntid=20159&bxid=29842120&pgno=1 

शनिवार, 28 जनवरी 2012

कितना वक़्त चाहिए....


कई प्रश्न  मन में उठते है ...मसलन ...इक नए राज्य को बिकसित होने में कितना समय चाहिए ...पांच साल...दस साल ..............हमारे झारखण्ड को बने हुए बारह साल हो चुके है ...... सन २००० में इसका जन्म हुआ था इससे पूर्व यह बिहार के नाम से जाना  जाता था झारखण्ड के निर्माण की बात उठी तो मन काफी प्रसन्न था .....उम्मीद  थी की झारखण्ड से हमारी एक नई पहचान बनेगी .....देश में कही भी हम सर उठा कर घूमेंगे ....क्योंकि जब यह राज्य बिहार था तो कही भी यह बताने पर की हम बिहार से आते है हमें काफी गिरी हुई नज़रों से देखा जाता था ....बिहार ...बिहारी अन्य राज्यों में दबंग ....लाठी के बल पर जीने वालों  की दृष्टि से देखा जाता था तात्कालिक बिहार की राजनैतिक ब्यवस्था और बिहारी मानसिकता दुसरे ज़गहों पर हंसीं का पात्र बन चुकी थी ......हम खुद पर कितना ही गर्व कर लेते परन्तु अन्य राज्यों पर जाते ही हमें हमारा परिचय राज्य का नाम जानते ही जो हाल होता उसे भुक्तभोगी ही बता पता इसी स्थिति  पर खुद को कायम रखने के लिए बिहारी छवि को बरक़रार रखना भी मज़बूरी हो जाती ..........हमारा क्षेत्र छोटानागपुर क्षेत्र के रूप में जाना जाता था ......आदिवासी बहुल क्षेत्र ....खनिज सम्पदा से भरा क्षेत्र ....जहाँ के मूल वासी ....सदान..... जिन्हें शायद खनिजों की उपयोगिता का सही ज्ञान नहीं रहा हो ....इस पुरे छोटानागपुर पर ....खनिज सम्पदा पर इस क्षेत्र से बाहर के लोगों का इक तरह से अधिकार हो गया ....मूलवासी यहाँ ज़्यादातर मजदूर हो गए ........... मूलवासी ..आदिवासी की मिलनसार एव हडिया जो चावल से बना एक पेय पदार्थ है जिसे पीने से नशा होता है , के सेवन ने अन्य जगहों से आने वालों को शोषण करने के लिए उकसाया ..........छोटानागपुर  क्षेत्र से बाहरी लोगों  के द्वारा अपना अधिपत्य कायम रखने के लिए इनके बीच जो संभव हो सका हर हथकंडा अपनाया गया ......खैर ...आज हम बिहार और झारखण्ड की तुलना करते है तो बिहार में जैसा की हम समाचार पत्रों में पढ़ते है झारखण्ड की तुलना में काफी बिकसित हो चूका है .....खुद मैंने बिहार की राजधानी पटना में जब आज से तीन वर्ष पूर्व गया तो पाया की पटना में कई जगहों में ओवर ब्रिज  बन गए है वहां की ट्राफिक काफी अच्छी हो चुकी है .......पटना के जिस रास्तों पर मैं पैदल चला करता था वे मुहल्लें ,रास्ते सभी नए हो गए थे .......और हमारा झारखण्ड अपने स्थापना के दिन से ही सिर्फ नई  राजधानी का एनाउंस की करता रहा ......सरकार  नई राजधानी के भूमि चयन करने में कई इलाकों  में भूमि देखती ही रही और उनकी ढुलमुल निति के कारण कई  भूमि दलालों  मालामाल हो गए ... कर दिए गए ....नई राजधानी के लिए जिस तरफ सरकार की नज़र जाती बाते सिर्फ कागजों पर होती और इस इलाके के  भूमि मालिकों   के साथ ज़मीं दलाल सिर्फ एग्रीमेंट कर भूमि काफी मुनाफा कमा कर बिक्री करते रहे ......राजधानी में बसने की चाहत लिए अगल - बगल शहरों के तथा कारबार के किये पडोसी राज्यों के लोग ताबड़- तोड़ बिना देखे  ज़मीं खरीदते गए ........दलाल मालामाल होते गए .....नए -नए बिल्डर आये ....प्रलोभन देते गए भूमि बेचते रहें ....इन सबके बीच न तो भूमि खरीदने वालों ने यहाँ के लोकल  कानून को देखा न ही बिल्डर और भूमि बिक्रेता ने कानून को देखने की कोशिश की ...जबकि छोटानागपुर के लिए विशेष "छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम " है जिसके कई धारा यहाँ की भूमि के खरीद - बिक्री से सम्बंधित है ....................

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

कल एक व्यक्ति से मुलाक़ात हुई, बेचारे अपने मोबाइल से किसी सज्जन से कह रहे थे की आज छुट्टी है ....जानकारी के लिए बता दूं की झारखंड सरकार ने नेताजी जयंती पर २३ जनवरी को सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की है ...दूसरी तरफ से पुछे जाने की क्या चीज़ की छुट्टी है ...व्यक्ति इधर-उधर झँकते हुए जवाब देते है की किसी नेता की जयंती है या शायद मृत्यु दिवस है ........

सोमवार, 23 जनवरी 2012

इक व्यक्ति शाम को काम करके थक कर अपने घर लौटता है ...घर में भरा-पूरा परिवार है परंतु खुद को अकेला महसूस करता है क्योंकि परिवार के लोग टी वी देखने में व्यस्त रहते हैं, कुछ समय के लिए जैसे ही सीरियल में ब्रेक पता है परिवार का ध्यान व्यक्ति पर जाता है और चाय या पानी मिलता है .....