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रविवार, 25 अक्तूबर 2009

बच्चे का साल मे दो जन्मदिन


मैं आपसे एक प्रश्न करता हू आप सोच कर ज़वाब दीजिएगा क्या आपके एक ही बच्चे का एक ही साल मे दो जन्मदिन आता है लगता है आप सोच मे पड़ गये ..... इतना सोचने का नही है हमारे बिहार, झारखंड मे कई बच्चों के एक ही साल मे दो जन्मदिन होते है उनके स्कूल के रिकार्ड मे उनका जन्मदिन कुछ और दर्ज़ होता है जबकि बच्चे का वास्तविक जन्मदिन कुछ और होता है अमूमन ज़्यादतर माता-पिता स्कूल मे दाखिला के वक़्त बच्चे का उम्र कुछ घटा देते है.

शनिवार, 24 अक्तूबर 2009

क्या आप सीधे खड़े है?


आपने कभी ये महसूस किया है की आप सीधे खड़े नही है, आप ही नही कई लोग है जो खड़े होने पर सोचते है की वे सीधे है परंतु 90 डिग्री की स्थिति मे 5 मिनट भी खड़ा होना मुश्किल होता है, आप चाहे तो खुद किसी दीवाल के सीध मे अपने शरीर को खड़ा करके देखे,आप खुद महसूस करेंगे की आपका शरीर सीधा खड़ा नही है.

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

बाबा का शुभ मुहूर्त

हद हो गई इन बाबाओं की, और हमारे अख़बार वाले,चैनल वाले,इनकी तो पुछो मत सबने अपने लिए एक-एक बाबा को आरक्षित कर रखा है जो हर दिन आपको एक नई बात बताएँगे ,की कब आपको क्या करना है ...किस राशि वाले को आज क्या खरीदना है ...दीपावली पूजन के लिए शुभ मुहूर्त कब होगा .....कब नये समान खरीदें ......समान खरीदने का शुभ मुहूर्त कब है ......इतने बजे से इतने बजे तक का मुहूर्त शुभ है ....बस फिर क्या है हो गई दुकान वालों की भी चाँदी ...और ट्रैफिक भी ज़ाम हो गया ...धनतेरस मे आपको क्या खरीदना है अब आप नहीं तय करेंगे कोई बाबा किसी अख़बार मे आपके बारे मे तय कर लिख देंगे की आपको धनतेरस मे क्या खरीदना शुभ होगा और आप भी अपनी सोंच को बदल उस बाबा के कथनानुसार खरीदारी कर लेंगे ... धन्य हो हमारे बाबा जो एक बार फिर से अंधविश्वास को पुनरज़ीवीत कर रहे है ....एक दिन एसा आएगा जब बाबा आपके घर से बाहर निकलने से लेकर खाना खाने का मुहूर्त बताएँगे और आप बाबा हो ज़ाएँगे..

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

मेरे विद्वान चाचा

मेरे एक चाचा है ,एकदम से विद्वान ....वे जो सोचते है समझिए की ब्रह्मा की लकीर है इस पर कोई भी तर्क-वितर्क उनके पल्ले नहीं पड़ता लिखने के भी शौकीन है ,खूब लिखते है ...अच्छे लेखकों में गिने ज़ाते है खूब छपते भी है लिखते वक़्त दिमाग़ सातवें आसमान पर रहता है और छपने बाद सीना फुलाए सिर उँचा कर इस कदर घूमते है की जैसे मैदान मार लिया हो , मुहल्ले में ,समाज मे सभी लोग डरते है ..........और मेरे चाचा आपनी ज्ञान को हमेशा नाई की दुकान, पान की दुकान पर बाँटते चलते है ....आप उनसे इस संसार, इससे हट कर यदि कोई और भी संसार हो उस पर भी किसी भी विषय पर बातें करे आपको चाचा हाज़िर ज़वाब मिलेंगे पर एक दिन बड़ा दुखद समाचार हो गया मेरे चाचा को उनके चाचा मिल गये बड़ी लंबी मुलाकात का दौर रहा वाद-विवाद से लेकर ज़ूतम-पैज़ार तक की नौबत आई अंततःचाचा को औक़ात पता चल गया,अभी वे कोपभवन मे हैं .