tag:blogger.com,1999:blog-20172883179861560092024-02-07T19:41:06.614+05:30mujhe kuch kahna haisuraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.comBlogger72125tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-24880243112536163942023-02-13T21:55:00.002+05:302023-02-13T21:55:28.120+05:30<p> अखिल भारतीय हिंदी नाट्य- लेखन प्रतियोगिता </p><p>प्रथम पुरस्कार 3000/- रूपये, द्वितीय पुरस्कार 2000/- रूपये तृतीय पुरस्कार 1000/- रूपये </p><p>साथ ही दस सर्वोत्तम नाट्य लेख को सम्मान।</p><p>सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा।</p><p>आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 20 फरवरी 2023</p><p>पुरस्कार की घोषणा तिथि 27 मार्च 2023(विश्व रंगमंच दिवस)</p><p><br /></p><p> वसुंधरा आर्ट्स अखिल भारतीय हिन्दी मौलिक नाट्य-लेखन प्रतियोगिता का आवेदन पत्र के लिए इस लिंक का प्रयोग करें। https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSelfj-EWqu9AyeCbVrzH8x5vjYBbG8ONEbOQZRFgqtfs3UvtA/viewform?usp=sf_link </p><p>लिंक ना खुलने या किसी प्रकार की जानकारी के लिए 9113323495 पर सिर्फ व्हाट्सएप कर जानकारी/समाधान प्राप्त करें।</p><p>वैसे नाटककार जो ऑनलाइन स्क्रिप्ट नहीं भेज सकते हैं</p><p> वे रजिस्टर्ड पोस्ट वसुंधरा आर्ट्स के निम्न पते पर कर सकते हैं</p><p>वसुंधरा आर्ट्स, उर्दू लाइब्रेरी के पीछे, मेन रोड, रांची 834001</p><p>सूरज खन्ना</p><p>वसुंधरा आर्ट्स, रांची(झारखंड)</p><p><br /></p><p>आप सभी रंगकर्मियों से निवेदन इस संदेश को अपने सभी रंगकर्मी मित्रों को व्हाट्सएप करे साथ ही इस प्रतियोगिता में भाग लें।</p><span class="fullpost">
</span>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-31259900498216411282015-11-16T18:47:00.004+05:302015-11-16T18:47:46.850+05:30मन को तरोताज़ा करे बिलकुल मुफ़्त <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जब आपका मन खिन्न हो जाये या आपको कुछ भी अच्छा न लगे तो मन को बहलाने के लिए या यूँ कहे की मूड बनाने के लिए सबसे पहले अपने सबसे अच्छे पल को याद करे गहरी साँस ले और जब आप साँस छोड़ेगे तो साथ ही आप महसूस करेंगे की आपका मन तरोताज़ा हो चूका होगा आप फिर से रिचार्ज हो चूंकि होंगे। <span class="fullpost">
</span><br />
<div>
कभी भी आजमा कर देखे बिल्कुल मुफ्त ……….... </div>
<div>
<br /></div>
</div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-37520088681839594782015-11-02T22:09:00.002+05:302015-11-02T22:09:45.253+05:30जीने का अपना अपना फंडा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ज़िंदगी क्या है <span class="fullpost">
</span><br />
<div>
बस </div>
<div>
जीने का तरीका है </div>
<div>
कोई दुखी है </div>
<div>
तो </div>
<div>
कोई सुखी है </div>
<div>
दुखी कौन है </div>
<div>
तो सब दुखी है </div>
<div>
फिर </div>
<div>
सुखी कौन है </div>
<div>
तो सुखी सभी है </div>
<div>
फिर </div>
<div style="text-align: left;">
बस , जीने का अपना अपना फंडा है </div>
<div>
कहीं कलम है तो </div>
<div>
कहीं डंडा है </div>
<div>
<br /></div>
</div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-31033946739386788112015-10-24T20:45:00.002+05:302015-10-24T20:45:24.178+05:30फसाद की जड़<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कल "फसाद की जड़" का नाट्य मंचन कान्ति कृष्ण कला भवन रांची में किया जायेगा <div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgb5_zcMawvEr69tLaazrslFNXfxETOQ4m78kWOU89a8Gk_MCjZg6Onx1HV7qTvieYleGSqOKfcL8FaOvzgjUs-N-qDhX6tIPjqYDM08UEXuwsknR7Gp4dps9kaDLo3esiKNGuTND8tnSk/s1600/IMG_20150529_134804.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgb5_zcMawvEr69tLaazrslFNXfxETOQ4m78kWOU89a8Gk_MCjZg6Onx1HV7qTvieYleGSqOKfcL8FaOvzgjUs-N-qDhX6tIPjqYDM08UEXuwsknR7Gp4dps9kaDLo3esiKNGuTND8tnSk/s320/IMG_20150529_134804.jpg" width="304" /></a></div>
<span class="fullpost">
</span></div>
</div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-40023968646287132192013-01-13T20:24:00.000+05:302013-01-13T20:24:10.595+05:30पत्थर है हैरान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost">पत्थर है हैरान, परेशान, अंजान</span><br />
<br />
<br />
क्योंकि<br />
<br />
उस बच्चे ने पत्थर जो पकड़ी<br />
<br />
तो शीशा चूर-चूर हो गया<br />
<br />
उस आदमी ने गुस्से में पत्थर जो दे मारा <br />
<br />
किसी की मौत हो गई<br />
<br />
उस कलाकार ने पत्थर को तराशा <br />
<br />
तो भगवान बन गया <br />
<br />
उस कारीगर ने पत्थर को सजाया<br />
<br />
तो मकान बन गया ..</div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-64492853235481572972012-12-31T21:27:00.000+05:302012-12-31T21:27:37.379+05:30याद करों जनी शिकार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost">याद करो तुम तपकरा,कोयलकारो,नगडी</span><br />
<br />
<br />
जब आज़ाद देश के सिपाही<br />
<br />
तुम्हारी ही ज़मीन से<br />
<br />
तुम्हारे पुरखों की यादों को <br />
<br />
मिटाने के लिए<br />
<br />
तुम्हे मारना चाहते थे<br />
<br />
तुम्हे भागना चाहते थे<br />
<br />
तुम्हारी हाथों में हथकड़ी<br />
<br />
पैरों में बेड़ियाँ<br />
<br />
बाँध देना चाहते थे<br />
<br />
तब<br />
<br />
हम ही आगे आए<br />
<br />
मोर्चा संभाला<br />
<br />
और<br />
<br />
अभी तक <br />
<br />
तुम्हारा हमारा<br />
<br />
तपकरा,कोयलकारो,नगडी<br />
<br />
हमारे हाथों में है<br />
<br />
जब भी<br />
<br />
दुष्ट प्रवृतियों की बुरी नज़र<br />
<br />
तुम पर पड़ती है<br />
<br />
हम ही आगे आते है<br />
<br />
तुम्हारी रक्षा को <br />
<br />
और तुम<br />
<br />
हमारा हक<br />
<br />
मारना चाहते हो<br />
<br />
कहते हो, कि<br />
<br />
ज़मीन पर हमारा कोई हक नहीं<br />
<br />
क्यूँ कहते हो कि हम तुम्हे हक नहीं देंगे<br />
<br />
याद करों जनी शिकार<br />
<br />
जब तुम मदिरा के नशे में चूर<br />
<br />
थक कर सो रहे थे<br />
<br />
मुगल सैनिक <br />
<br />
तुम्हारे नशे की आदत की आड़ में <br />
<br />
तुम्हारे देश<br />
<br />
तुम्हारी ज़मीन पर<br />
<br />
क़ब्ज़ा के लिए<br />
<br />
घात लगाकर<br />
<br />
तुम्हे जान से मारने<br />
<br />
तुम्हारी जन्म भूमि को <br />
<br />
क़ैद करने के लिए<br />
<br />
युद्ध के लिए<br />
<br />
तुम्हारी धरती पर <br />
<br />
अपने नापाक कदम रखे<br />
<br />
और तुम <br />
<br />
नशे में <br />
<br />
सो रहे थे<br />
<br />
तब<br />
<br />
याद करो<br />
<br />
हमने ही तो मर्दाने भेष में<br />
<br />
मुगल सैनिकों को <br />
<br />
युद्ध में<br />
<br />
परास्त किया<br />
<br />
भगा दिया उन्हे<br />
<br />
अपने ज़मीन,अपनी मातृभूमि से <br />
<br />
जिसकी याद में आज भी<br />
<br />
बारह वर्षों के बाद<br />
<br />
जनी शिकार की याद ताज़ा होती है<br />
<br />
और तुम <br />
<br />
थोड़े से पैसों...<br />
<br />
हड़िया...<br />
<br />
इंगलिस दारू..<br />
<br />
की चाह में<br />
<br />
अपनी ही ज़मीन को<br />
<br />
टुकड़ों में बेच<br />
<br />
खुद<br />
<br />
बेघर हो रहे हो<br />
<br />
क्या ज़वाब दोगे<br />
<br />
अपने आने वाली पीढ़ियों को<br />
<br />
कि थोड़ा सा शराब पिला<br />
<br />
तुम्हारी ज़मीन..<br />
<br />
दिकुओ ने हड़प ली<br />
<br />
और तुम ..<br />
<br />
शराब ही पीते रहे<br />
<br />
ज़मीन चाह कर भी बचा नहीं पाये<br />
<br />
और<br />
<br />
हम बचाने आये तो कह दिए<br />
<br />
कि तुम्हे कोई हक नहीं है<br />
<br />
ज़मीन पर......<br />
<br />
क्यों..<br />
<br />
</div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-14564400968675971442012-08-17T14:30:00.002+05:302012-08-17T14:30:12.404+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjeJD-nc8TBLFOeiYxCLM8GX_G7Ef0k1lAFrX2muuOachvDMbMI2AsuLe2YNDGrdiMhbngFv-Zj7tgGfThxixPLvWV1kr-HcLQKkZSYwEgyOpR0D_PjbklzTLdyA4Yl_dqMx5awb0ZdLuY/s1600/namaj+copy.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="213" mda="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjeJD-nc8TBLFOeiYxCLM8GX_G7Ef0k1lAFrX2muuOachvDMbMI2AsuLe2YNDGrdiMhbngFv-Zj7tgGfThxixPLvWV1kr-HcLQKkZSYwEgyOpR0D_PjbklzTLdyA4Yl_dqMx5awb0ZdLuY/s320/namaj+copy.png" width="320" /></a></div>
<span class="fullpost"></span></div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-58149460865875338592012-08-15T08:59:00.001+05:302012-08-15T08:59:57.087+05:30आज़ादी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost">हमे गर्व करना चाहिए की हम आज़ाद देश के निवासी है,और हमे सबसे बड़ी आज़ादी अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी मिली है जिससे हम आपनी सोच को अभिव्यक्त कर सकते है चाहे वो हमारी सोच सार्थक हो या निरर्थक.....
<br />
हमे एहसानमंद होना चाहिए उनका जिनके बलिदान से हम,हमारा देश आज़ाद हुआ...
</span></div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-41401816321191209382012-08-11T19:29:00.002+05:302012-08-11T19:29:59.273+05:30बचपन<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost">बचपन कौन नही चाहता वापस लौट आए क्योंकि बचपन मे किसी प्रकार का कोई भी टेंसन नहीं होता है हर माँग पूरी हो जाती है ..... बचपन के खेल हमेशा याद आते है क्योंकि बचपन तो बचपन ही होता है ,बचपन की छूटी ख्वाहिसे शायद ही कभी पूरी हो पाती है पर आपने बच्चों के खेलों को देख फिर बचपाना वापस आ उठता है
</span></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-20500851926828386462012-08-10T21:03:00.003+05:302012-08-10T21:04:23.999+05:30खुखरी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEidMDKHvXoZVlYeJ3MnXINCke8wmGAlWwRxUAi9UYkWOcuYaSIgciKUQY_5mdv76UTXs4pEoK7k9gRvEihI5bVl4qNUNxrCLOdvnsw8zW_4pGszTTebtcmFAsp7yFo-MjHpLSSeeGEL7d4/s1600/ButtonMushroom-.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><br /></a></div>
<span class="fullpost">खुखरी
जिसे आप मशरूम भी कहते है इसे छोटानागपुर मे खुखरी के रूप मे भी जाना जाता
है , पौष्टिकता से भरपूर खुखरी ....आप जानते है इस खुखरी का दाम राँची मे
400 किलो है तो बेड़ो मे 250 किलो खूंती मे 160 किलो ...वाह रे खुखरी......</span><br /><span class="fullpost">
</span></div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-86545424765445885442012-08-10T20:24:00.004+05:302012-08-10T20:24:38.983+05:30आम्रेश्वर धाम की यात्रा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost"> </span><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi2jJUSQskHz-LqcRXLTn5IQVaiSZQid44ZaC2w3-uCo_19ijS2Pe6UwRd_YvfGKv0_QZn9OKRDTcbi5bBa1BBb8NrMnkwL5pKUSTNiJgqrn4y7nHzjeP5PnTpS5gmMmzrzXQY6cib6g2I/s1600/Image240.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi2jJUSQskHz-LqcRXLTn5IQVaiSZQid44ZaC2w3-uCo_19ijS2Pe6UwRd_YvfGKv0_QZn9OKRDTcbi5bBa1BBb8NrMnkwL5pKUSTNiJgqrn4y7nHzjeP5PnTpS5gmMmzrzXQY6cib6g2I/s1600/Image240.jpg" /></a></div>
<span class="fullpost">आज
प्राचीन शिव मंदिर आम्रेश्वर धाम की यात्रा पर पत्नी एव दोनो बच्चों के
साथ गया,वैसे तो सावन के महीना मे यहाँ काफ़ी भीड़ रहती है, 3 किलोमीटर दूर
तक भक्तों की भीड़ रहती है साथ ही दर्शन ठीक से नहीं हो पता है परंतु सावन
का महीना नही रहने के कारण हमलोगों ने काफ़ी अच्छे तरीके पूजा भी किया एव
दर्शन भी किया ...... इस प्राचीन शिव मंदिर आम्रेश्वर धाम जिसे स्थानीय
भाषा मे अंगराबाड़ी भी कहते है यहाँ भगवान शिव ने आम के पेड़ के जड़ के
बीचों-बीच अपने दर्शन दिए ...प्राकृतिक सौंदर्य के बीच भगवान शिव के अनुपम
रूप का दर्शन काफ़ी खुशदायक रहा</span></div>
suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-88483585307911620312012-08-05T19:54:00.000+05:302012-08-05T19:54:33.652+05:30वो पुरानी यादें<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost">वक़्त गुजर जाता है पता ही नहीं चलता है ...हम अपने पुराने दिन की यादों को ही सोचते रहते है ...उन्ही यादों मे खोए उन्ही दिन की यादों को याद कर अपनी उमर को भी वहीं पीछे छोड़ देते है ...वो ख्याल कितने खूबसूरत होते है वो बिता हुआ कल कितना सुंदर महसूस होता है और आज का वर्तमान कितना अजीब सा दिखाई पड़ता है....
</span></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-35341985449963021222012-02-04T09:30:00.000+05:302012-02-04T09:30:00.096+05:30नाटक :- चौदह अगस्त की शाम से पंद्रह अगस्त की सुबह तक<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost"><div style="text-align: left;">
<span style="font-size: large;"><u><strong>चौदह अगस्त की शाम से पंद्रह अगस्त की सुबह तक</strong></u></span> </div>
परदा खुलते ही मंच पर पन्द्रह अगस्त की तैयारी करते कुछ युवक दिखाई पड़ते है। मंच की बांये तरफ एक चाय की दुकान है, जहाँ कुछ नेतारूपी युवा चाय पीते हुए ठहाका लगाते है। मंच के दाएँ तरफ झोपड़ीनुमा कुछ घर तथा बीच में गांधीजी की मिट्टी की बनी मूर्ति तथा सामने ही झंडा लगाने के लिए एक बांस पर एक तिरंगा झंडी लगाते हुए कुछ युवा। मंच के दाँए तरफ बचरी उदास बैठी है। बचरा का सिगरेट पीते हुए प्रवेश।<br />
बचराः- क्या बात है बचरी। उदास क्यों बैठी हो ( बचरी चुप ) क्या भूख लगी है।(बचरी हाँ में सर हिलाती है।) अरे भूख लगी है, तो यहाँ क्यों बैठी हो, सामने देख....... होटल में कितनी भीड़ लगी है। जा बाबू लोग तो है, ही............ जा माँग ले।<br />
बचरीः- मै वहाँ नही जाउगी।<br /><br />
बचराः- क्यों ......... वहां नही जाएगी तो क्या बाबू लोग खुद तुझे देने आयेंगे। अरे हमलोग <br />
भिखमंगे है, जा जाकर मांग। ज्यादा नखरे मत कर... <br />
बचरीः- मै नही जाउगीं................. तुम सिगरेट पी रहे हो। बाबा को बोल देगें <br />
बचराः- अरे नही बचरी । बाबा को मत बोलना। अरे यह तो सड़क में गिरा मिल गया था, इसलिए उठा लिये। देख आज खूब कमाई हुई है, मै तो फिल्म भी देख आया।<br />
बचरीः- कैसे !<br />
बचराः- अरे आज कमाई के लिये सिनेमा हाल के पास चला गया था। वही एक्टींग की और पैसा कमाई की...... मन किया तो टिकट लेकर फिल्म भी देखी। खुब मजा आया .......... तु कहां गई थी, आज कुछ कमाई की नहीं।<br />
बचरीः- नहीं !<br />
बचराः- क्यों ? <br />
बचरीः- देखा यहां भीड़ थी, सोचा कि आज यहीं भीख मांग लुंगी। बाबु लोग सुबह से ही यहां है।<br />
<br />
बचराः- तब खुब कमाई हुई होगी है ना.....<br />
<br />
बचरीः- नहीं ।<br />
<br />
बचराः- क्यों ! देख झूठ मत बोल । सच सच बोल.....<br />
बचरीः- सच बोल रही हूँ। तुम्हारी कसम... <br />
बचराः- क्यों वहां नहीं गई थी क्या...<br />
<br />
बचरीः- गई थी ।<br />
बचराः- तो क्या बाबु लोग कुछ नहीं दिये । (बचरी चुप) तुझे मांगने नहीं आया होगा। इतनी बड़ी हो गई हो लेकिन ठीक से भीग मांगने भी नहीं सीखी। देख मैं मांग कर लाता हूँ।<br />
(बचरा होटल के पास चला जाता है । जहां नेतानुमा लोग खड़े है।)<br />
<br />
बचराः- बाबु जी, भुख लगी है । कुछ मिल जाए ।<br />
नेतानुमा(1) :- अबे चल । आगे बढ़<br />
<br />
बचराः- बहुत भुखा हूँ साब । कुछ दे दिजिए।<br />
<br />
नेतानुमा(2):- अबे साला । तेरा बाप-माँ नहीं है क्या। साले पैदा कर छोड़ दिया है। चल भाग<br />
बचराः- मैं बहुत भुखा हूँ...............<br />
नेतानुमा(3):- अबे काम करेगा (बचरा सर हिलाता)<br />
<br />
नेतानुमा(3):-क्या काम करेगा । बोल क्या काम करेगा।<br />
<br />
बचराः- साब कुछ भी......... पेट भरने लायक कुछ भी काम मिल जाये।<br />
<br />
नेतानुमा(1):- कुछ पढ़ा लिखा भी है या खाली ऐसा ही है रे।<br />
<br />
बचराः- नही साब पढाई - लिखाई हमारे नसीब में कहाँ साब। गरीब आदमी हूँ । दो दिन से भूखा हूँ साब कुछ दो ना।<br />
नेतानुमा(3)- क्यों रे ( होटलवाले को ) इसको रखेगा अपने यहाँ काम करने के लिए। प्लेट- व्लेट साफ कर देगा।<br />
होटलवालाः- नही साब। हमारी औकात नही है साब। अपनी पेट तो भरती नही है, और इसको क्या खिलाएगें।<br />
नेतानुमा(2)- हाँ साला इंकमटैक्स बचाने के लिए झूठ बोलता है। क्यों रे इंकमटैक्स देता है।<br />
होटलवालाः- बाबूजी हमलोग गरीब आदमी है, इंकमटैक्स कहाँ से देंगे।<br />
नेता(1) -साला, गरीब तो इस दुनिया में सब है.............. सरकारी जमीन पर दुकान, खोल कर बैठा है। कमा-कमाकर मोटा हो रहा है, और बोलता है इंकमटैक्स नही देता।<br />
<br />
नेता(2) -साला..... हप्ता देता होगा । क्या रे दुकान का किराया देता है या नहीं (होटलवाला चुप रहता है) क्या रे बोलता क्यों नहीं । ऐसे ही दुकान चला रहा है क्या ।<br />
<br />
होटलवालाः-नहीं साब! थाना वाले ले जाते है।<br />
<br />
नेता(3) -कितना देते हो।<br />
<br />
होटलवालाः- छोडि़ए साब.... अब क्या बोले आपलोग से कुछ थोडे ही छुपा है।<br />
नेता(3) -बोल-बोल । घबरा मत , कुछ नहीं होगा। कौन ले जाता है।<br />
<br />
नेता(1) -आजकल साला गरीब लोग का जीना मुश्किल हो गया है। देखो साला थाना वाला ठेला वाला से भी पैसा लेता है।(इसीबीच एक पुलिस वाले का प्रवेश। होटलवाला से पैसा लेता है और एक समोसा उठा कर खाने लगता है।)<br />
नेता(1)-क्या हो सिपाही जी क्या हाल है।<br />
सिपाही -बस उपर वाले का दुआ है। तैयारी हो गई क्या<br />
नेता(2) -हाँ थोड़ा सा बाकी है। मुख्यमंत्री आ रहे हैं। तैयारी तो होना चाहिए।<br />
सिपाही -हाँ कोई दिक्कत हो तो कहिएगा। ( होटलवाला से ) सुन रे ! साहब को कोई चीज का जरूरत हो तो दे देना। और सुन कल दुकान यहां नहीं लगना चाहिए। मुख्यमंत्री आ रहे है। देख लेंगे तो गड़बड़ हो जाएगा।<br />
बचराः-नेतानुमा(2) से साब दो दिन से भुख हूँ। कुछ मेहरबानी करे साब।<br />
सिपाही -क्या है बे । कुछ साला तुमलोग नहीं सुधरेगा । भाग यहां से ........भाग साला भिखमंगा का औलाद......<br />
नेता(3) -अरे छोडि़ए सिपाही जी । कल पंद्रह अगस्त है। बेचारा भूखा है (होटलवाला से) सुनों इसको एक समोसा दो.... जा जाकर ले ले।<br />
(होटलवाला बचरा को सिंघाड़ा देते हुए बुदबुददाता है।)<br />
होटलवालाः- भिखमंगा जात ........... साला... देश को डुबा दिया । हर जगह साला पहले से ही पहुंच जाता है।<br />
नेताः- सिपाही जी अभी थाना प्रभारी कौन है?<br />
सिपाही -सिंह जी है।<br />
नेता(3) -अच्छा उनको बोल देना ।कल मुख्यमंत्री जी यहां झण्डा फहरा रहें है । कोई गड़बड़ नहीं होना चाहिए। एकदम साफ सुथरा रहना चाहिये।<br />
सिपाही -ठीक है, साब चला जाता है। <br />
(बचरा समोसा लेकर बचरी के तरफ जाता है।)<br />
नेता(1) -साला। यह जगह इन भिखमंगो ने बरबाद कर रखा है।<br />
नेता(2) -मास्टर प्लान के बाद यह जगह सोना हो जाएगा।<br />
नेता(1) -सोना क्या रहेगा। मिट्टी का टुकड़ा ही रहेगा। देखते नही हो भिखमंगो कि बस्ती...... भिखमंगा यहाँ झोपड़ी बनाकर रहते है।<br />
नेता(3) -तो क्या हुआ। मास्टर प्लान चालू होगा, तो इसको हटा दिया जाएगा। साला क्रेन लाकर चढ़ा दिय जाएगा।<br />
नेता(2) -नही यार। आजकल इनलोगो का भी यूनियन बन गया है, जहाँ साला अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू हुआ, साला उठ खड़े होते है। और फिर विरोधी पार्टी वाला सब साला मौका खोजते रहते है।<br />
नेता(1) -अबे! इसमे इतना परेशान होने कि क्या बात है। इसके यूनियन लीडर को अपने दल का मेम्बर बना दो। बस सब ठीक हो जाएगा।<br />
नेता(3) -धत! साला भिखमंगा .....कोढया भिखमंगा को अपने पार्टी मे डालेगा। सरकार इनसे चलता है, क्या। अबे अपनी सरकार फैक्ट्री - इण्डस्ट्रीज और पैसेवालो के बल पर चलती है। भिखमंगो को साथ रख भिखमंगा होना है क्या ?<br />
नेता(2) -साला! मै मास्टर प्लान में यहाँ पर मार्केट काम्पलेक्स बनाने के लिए सोच रहा था। आजकल मार्केट काम्पलेक्स में खूब पैसा है।<br />
नेता(1) -अबे पैसा बोला तो याद आया शाम का जुगाड़ है, ना। जाकर ले आ..... नही तो कल स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष पर दुकान बंद रहेगी।<br />
नेता(3) -हाँ यार! ले आ नही तो सारा दिन चैपट हो जाएगा।<br />
नेता(2) -अरे यार! इंतजाम है। और फिर दुकान बंद रहेगा तो क्या नीचे से दुकान वाला नही देगा। साले का तुमलोग लाइसेंस कैसिंल नही करवा देगा क्या......<br />
(तीनो हँसने लगते है। बचरा बचरी के पास) <br />
बचराः-देख! ऐसे माँगा जाता है। मै माँग लाया ना, ले सिंघाड़ा खा।(बचरी खाती है।) देख ये सब भीख माँगने का टेक्टीस है। एक बार मांगो, भगा देगा। फिर मांगो, जब तक बाबु लोग ना दे तब तक हटो ही नही...... देगा जरूर।<br />
बचरीः- मै जानती हूँ।<br />
बचराः- जानती है तो यहाँ भूखी बैठी क्यों थी, माँगी क्यों नही।<br />
बचरी -गई थी, माँगने.......<br />
बचराः- तो क्या नही दिये ...................!<br />
बचरीः- नही....... उनकी नजरें बहुत खराब है। गन्दी -गन्दी बाते करते है............ कैसे गंदी नजरो से देखते है। जैसे मुझे खा जाएगें..............कुŸो साले बदमाश लोग है। <br />
बचराः-तुम ठीक कहती है। ये लोग अच्छे आदमी नही लगते है। साले मुझे भी खूब तंग किया। कहते है, पढाई लिखाई करो। काम करो। क्या करूँ सूनना पड़ा, मैने भी गरदन हिला दी। भाषण दे रहे थे। जैसे कल 26 जनवरी हो। अरे हाँ, कह रहे थे कल झंडा फहरेगा। मुख्यमंत्री आयेंगे।<br />
बचरी -तब तो कल मिठाई बंटेगा। खूब मजा आयेगा।<br />
बचरा -हाँ चल चलते है। बाबा इंतजार करते होंगे।<br />
(प्रस्थान)<br />
(प्रकाशवृत होटल वाले हिस्से में )<br />
<br />
नेता(1)- अबे! वो फिल्म तूने देखी साली हिरोइन ने इतना मस्त डांस किया.. क्या बोले साला इमान डोल गया।<br />
<br />
नेता(2) - अरे आजकल की हिरोइन क्या कपड़ा पहनती है। एक बार सामने आ जाये ना तो मजा आ जाएगा।<br />
<br />
(पगली का प्रवेश, वह झूमती अपने आप में खोये मंच पर )<br />
<br />
नेता(3) - ये लो तुमने हिरोइन का नाम लिया और तुम्हारी हिरोइन आ गई।<br />
<br />
नेता(2) - धत साला ये हिरोइन है, अबे में आर्ट फिल्म की हिरोइन नही आज के मार्डन हिरोइन की बात कर <br />
<br />
रहा है। यार ! क्या चलती है। क्या कमर मटकाती है, हाय.....हाय...............<br />
<br />
नेता(3) - (पगली को) ये ऽ ऽ ऽ ऽ श्री देवी ऽ ऽ ऽ ऽ देखो तुम्हारा दिवाना इधर है। (पगली उनको घूरकर देखती है।)<br />
<br />
नेता(2) - अबे देख तुम्हारी हिरोइन तुम्हे देख रही है। देख बे, देख जा अजय देवगन के तरह नाच । (पगली गुस्सा से बड़बड़ाती है।)<br />
<br />
नेता(3) - ऐ ऽ ऽ ऽ ऽ जा - जा यहाँ से । भाग ऽ ऽ ऽ ऽ ।<br />
<br />
नेता(2) - अरे ! क्यों भगा रहा है। अपनी हिरोइन को। ऐ श्री देवी आ - आ सिंघाड़ा- खायेगी - ले । पगली गुस्सा होती है।<br />
<br />
नेत(1) - अरे गुस्साती क्यों हो । लो खा लो, तुम्हारा हीरो तुम्हें कितना प्यार से खिला रहा है, लो खा लो.......<br />
(पगली गुस्सा से पास पत्थर उठा लेती है।)<br />
<br />
नेता(2) - अरे !अरे ! नहीं रे भाई ! पत्थर मत फेकना ।<br />
<br />
(होटलवाला दौड़कर पगली को पकड़ लेता है।)<br />
<br />
होटलवाला - ना बहन ! इनको माफ कर दे। गुस्सा मत कर । ये नहीं जानते क्या कह रहें है। जा बहन- जा <br />
<br />
(पगली गुस्सा में राने लगती है तथा गांधी की मूर्ति के पास जाकर बैठ जाती है।)<br />
<br />
नेता(1) - अच्छा किया यार उसको रोक लिया वरना साली माथा फोड़ देती।<br />
<br />
नेता(2) - और बदमासी करो। बुलाओ हिरोइन को <br />
<br />
होटलवाला - बाबूजी ऐसा नहीं करते। बेचारी दुखयारी है। पहले पगली नहीं थी, ऐसा झटका लगा कि पगली हो गई।<br />
<br />
नेता(1) - तुम तो ऐसा कह रहे हो जैसे कोई महारानी थी... अब भिखमंगी हो गई।<br />
<br />
होटलवाला - हाँ बाबूजी ये महारानी ही थी। अपने घर की........ पर इसका पति दूसरे औरत के चक्कर में इसे तलाक दे दिया और इसको घर सम्पति सब छिन कर इसको घर से भगा दिया तब से बेचारी पागल हो भटक रही है।<br />
नेता(1) - बेचारी !<br />
<br />
होटलवाला - अभी इसकी उम्र ही क्या है बाबूजी, बेचारी का दोष क्या था पति पर भरोसा किया और वही इसे दगा दे गया। <br />
नेता(1) - क्या उम्र होगी इसकी<br />
<br />
(होटलवाला चुप्प)<br />
<br />
नेता(2) - क्या हुआ ! यार तु तो इतना हमदर्दी से इसका कहानी सुनाया,उम्र क्यों छोड़ यार। बोल ना कितने साल की होगी- 16 साल की है क्या।<br />
<br />
होटलवाला - छोड़ो साब ! होटल बढ़ाने का समय हो गया है।<br />
नेता(1) - क्या यार ! थोड़ा देरी साथ बैठो क्या होगा।<br />
<br />
नेता(2) - क्यों भाई होटलवाले ! बुरा लग गया क्या................... जवान है पगली है तो क्या............ है तो औरत ही । तेरा कोई टाका वका तो नहीं चल रहा है ना<br />
होटलवाला - साब ! छोटी मुँह बड़ी बात मैं उमर में आपसे बड़ा हूँ , कम से कम इसका तो लेहाज करो।<br />
<br />
नेता(1) - हाँ भाई इसके उम्र का लेहाज करो। इसने बहन कहा है, बीबी नहीं (तीनो हंसते हैं।)<br />
नेता(1) - सुनो ! तीन गिलास दो और दुकान बंद करके जाओ।<br />
होटलवाला - साब! गिलास का क्या किजिएगा।<br />
नेता(1) - तुमका मतलब । दुकान कल से यहां लगाना है कि। कल मुख्यमंत्री आ रहें है,रात भर यहां ड्यूटी देना है... समझे ....... चल गिलास दे......<br />
होटलवाला - पर साहब यहां शराब पीना मना है।<br />
<br />
नेता(2) - कहां पर लिखा है, शराब पीना मना है।<br />
<br />
होटलवाला - साब ! पुलिस देख लेगी तो मेरी दुकान उजाड़ देगी। आपके हाथ जोड़ता हूँ,मेरे पेट पर लात मत मारिये।<br />
नेता(1) - अबे! फिल्मी डायलाग मत मार ।पुलिस कुछ नहीं करेगी। तुने सुना नहीं। मामु .. क्या हिदायत देकर गये थे ।जो चीज की जरूरत हो दे देना............. तीन गिलास निकाल और फुट..... (होटलवाला गिलास निकालकर देता है।)<br />
<br />
नेता(3) - सुन हमलोग का कितना बिल हुआ।<br />
<br />
होटलवाला - जी 28 रूपया<br />
<br />
नेता(3) - अठाइस रूपया कैसे रे। क्या क्या दिया।<br />
<br />
होटलवाला - जी छः चाय, तीन आमलेट डबल और सात समोसा....<br />
.<br />
नेता(3) - सात समोसा, अबे हमलोग तीन आदमी है। छः समोसा हुआ, सात कैसे .. अबे कौन एक समोसा ज्यादा खाया ..बोलो<br />
<br />
नेता(2) - क्या रे छः सिंघाड़ा हुआ था।<br />
<br />
होटलवाला - साब! छः सिंघाड़ा आप लोग खाये और एक उस बच्चे को दिया...<br />
<br />
नेता(1) - अबे बच्चे को दिया, किसके बच्चे को .... हमलोग अभी बैचलर है.... हमारा बच्चा कहां से आया।<br />
होटलवाला - साब! उस भिखमंगे बच्चे को<br />
<br />
नेता(1) - अबे! भिखमंगे को दिया था, साला उसका पैसा मांगकर पाप क्यों कर रहा है। जा................<br />
<br />
होटलवाला - ठीक है साब! सताईस रूपये ही दे दिजीये।<br />
नेता(2) - जा कल ले लेना।<br />
<br />
होटलवाला - कल होटल बंद रहेगा साब।<br />
<br />
नेता(1) - क्यों, क्यों बन्द रहेगा।<br />
<br />
होटलवाला - साहब कल मुख्यमंत्री आ रहे है, ना। इसलीये आर्डर आया है, कि कल दुकान बंद रहेगा।<br />
नेता(1) - अच्छा...........दुकान सरकारी जगह पर है, (अपने साथी से)सुनो......कल मुख्यमंत्री से कहकर इसको <br />
<br />
ये जगह एलाटमेंट करवा देते है। साला गरीब का पेट भरेगा तो दुआ देगा ना....(होटलवाला सर हिलाता है) <br />
<br />
जा....कल शाम को पार्टी के आफ़िस में आ जाना,दुकान का कागज - पतर वहां से ले जाना। कल से दुकान तुम <br />
<br />
आराम से खोलो। किसी को कुछ भी लेना - देना नही पड़ेगा आओ।<br />
<br />
होटलवाला - जी।<br />
नेता(3) - अब जाओ यार! शाम हो गई मुड बन रहा है। अब मुड मत खराब करो जाओ. ....कल आ जाना।<br />
<br />
(होटलवाला चला जाता है। तुम गिलास में शराब डाल पीते है।)<br />
<br />
नेता(1) - साला! ये शराब भी शाली अजीब चीज है। समय काटने के लिये इससे अच्छी चीज बनी ही नही है।<br />
<br />
नेता(2) - अबे साले! खाली शराब ही है या कुछ चना वगैरह भी है।<br />
नेता(3) - है यार! लो, खाओ।<br />
<br />
नेता(1) - साला होटलवाला, बेचारा कल आयेगा दुकान एलाटमेंट के कागज के लिये कल...साला......(हँसता है।)<br />
<br />
नेता(2) - है साला, सीधा-साधा, बेचारा उसको क्या पता यहाँ पर काम्पलेक्स के चक्कर में हम खुद लगे है।<br />
<br />
नेता(3) - कल मुख्यमंत्री के आगे - पीछे हो आर्डर करा लेना होगा....... नहीं तो राजधानी का चक्कर लगाने के लिये तैयार रहो।<br />
<br />
नेता(1) - नहीं यार ! कल मुख्यमंत्री से एलाटमेंट आर्डर ले लेना है।<br />
नेता(2) - देखो यहाँ पर से नीव दिलाना है। यहाँ पर 12 दुकान एक सीधा में 12 दुकान इधर। <br />
<br />
नेता(3) - नीचे अण्डरग्राउण्ड में कार पार्कींग के लिये जगह रहेगा।<br />
<br />
नेता(1) - तीसरे तल्ले में होटल रहेगा .............. नीचे रेस्टुरेंट<br />
<br />
नेता(2) - अबे सिर्फ रेस्टुरेन्ट नहीं बार रेस्टुरेन्ट<br />
<br />
नेता(3) - अबे बार रेस्टुरेन्ट से क्या होगा ।कहावत है शराब और शबाब साथ हो... सिर्फ बार से क्या होगा।<br />
नेता(2) - अबे तो अपनी वाली के लेते आना नीचे बार में शराब उपर होटल में शबाब.<br />
.<br />
नेता(3) - अबे उसके बारे में कुछ नहीं बोलेगा । यार वो मेरी जान है... मेरी शादी उससे होने वाली है।<br />
नेता(3) - पेशाब करने का इशारा करते हुये गांधीजी के मूर्ति के पास जाता है।<br />
<div style="text-align: left;">
</div>
नेता(1) - अबे इधर देखो ।<br />
<br />
नेता(2) - क्या है यार उछल क्यों रहा है।<br />
<br />
नेता(3) - अबे ! शराब की शबाब, तेरी हिरोइन....<br />
<br />
नेता(2) - क्या हिरोइन ! अच्छा पगली....<br />
नेता(1) - पगली नहीं । हिरोइन।जवान पगली.....<br />
<br />
(नीचे सोई हुई पगली के पास आ जाते है।)<br />
नेता(1) - ए हिरोइन .......<br />
<br />
(पगली चौंक कर उठती है।)<br />
<br />
नेता(2) - हिरोइन .... कैसी हो .... घबराओ मत ... कुछ नहीं होगा ... हिरोइन<br />
<br />
नेता - ए... ए<br />
<br />
(तीनों उसे घेरकर चक्कर लगाते है पगली घबराती हुई इधर-उधर देखती है घेरा कम होता जाता है। तीनों उसे उठा मूर्ति के पीछे ले जाते है बारह का घन्टा सुनाई पड़ता है टन...टन.....टन.. धीरे-धीरे मंच में प्रकाश आता है। मंच अस्त व्यस्त है। मूर्ति थोड़ी टूट चुकी है। बोतल -गिलास गायब है। सुबह का समय बचरा,बचरी मंच पर आते है।<br />
<br />
बचरा - चल आज 15 अगस्त है। आज परसादी बटेगा।<br />
<br />
बचरी - हाँ, आज हमलोग भीख नहीं मागेंगे आज हमलोग यहां पर झण्डा-झण्डा खेलेंगे।<br />
<br />
बचरा - नहीं रे पगली ।झण्डा-झण्डा नहीं खलेंगे। बाबा कहते हैं आज देश आजाद हुआ था। आज हमलोग अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुये थे। आज हमलोग खुशी मनायेंगे। बाबा कहते थे उसने आजादी की लड़़ाई लड़ी थी।<br />
<br />
बचरी - ये आजादी की लड़ाई क्या होती है।<br />
<br />
बचरा - बेवकुफ ! यह भी नहीं जानती है कि आजादी की लड़ाई क्या होती देखो आजादी की लड़ाई, आजादी की लड़ाई होती है।<br />
<br />
बचरी - अच्छा ! आजादी की लड़ाई, आजादी की लड़ाई होती है। पर ये कैसे लड़ी जाती है।<br />
<br />
बचरा - हम क्या जाने आजादी की लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। बाबा से क्यों नहीं पूछती.<br />
<br />
बचरी - हाँ ! मैं बाबा से पूछ लुंगी... अरे देखो उधर पगली चाची सोई है.... चलो उससे पूछते हैं । आजादी की लड़ाई कैसे लड़ी जाती है।<br />
<br />
(दोनों वहाँ जाते है, पगली अर्द्धनग्न अचेत पड़ी है।)<br />
<br />
बचरी - पगली चाची-चाची आजादी की लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। पगली चाची क्या हुआ.....<br />
<br />
बचरा - पगली चाची, पगली चाची तुझे क्या हुआ । तुम्हारे कपड़े ये फट कैसे गये । क्या हुआ पगली चाची बोलो ना क्या हुआ। <br />
<br />
बचरी - पगली चाची, तुम्हे किसी ने मारा क्या, बोलो पगली चाची किसने तुम्हे मारा।<br />
<br />
बचरा - बोलो पगली चाची। किसने तुम्हारे साथ ऐसा किया। हम अभी बाबा को बुलाते है।बाबा.........बाबा.........देखो तो पगली चाची को क्या हुआ। <br />
<br />
(बाबा का प्रवेश एक बुढा व्यक्ति। उसके चेहरे से उसका व्यक्तित्व नजर आनी चाहिए)<br />
बाबा - क्या हुआ बच्चों<br />
<br />
बचरा - बाबा ! देखो ना पगली चाची को क्या हो गया है।<br />
<br />
बचरी - किसी ने पगली चाची को पीटा है।<br />
<br />
(बाबा पगली को देखते हैं तथा बदहवास हो जाते हैं)<br />
<br />
बाबा - तुमलोग हटो बच्चो जाओ किसी को बुला लाओ और तेजी से निकलते हैं। तथा बाबा सजावट के लिए लगी झण्डी को खींचकर पगली के शरीर को ढकता है।<br />
<br />
बाबा - बोलो बेटी! किसने तुम्हारा ये हाल किया। कौन है वह दरिन्दा जानवर। जिससे तुम पर रहम नही आया........बोलो बहन (इसी बीच एक-दो भिखमंगे जमा होते है। बचरा - बचरी उसमे शामिल है। एक भिखमंगनी दौड़कर कपड़ा लाकर पगली का शरीर ढकती है। पगली अपने हांथो मे दबे टोपी या कुर्ता के टुकड़े को इशारा कर दिखाती है। मानो कहना चाह रही हो , इसी ने उसके साथ गलत कार्य किया हो। इशारा करते हुये पगली दम तोड़ देती है )<br />
<br />
बाबा - बोलो बेटी! बोलो। किसने यह दरिंदगी दिखाई। (टुकड़ा देख) यह। यह तो किसी नेता के कपड़े का हिस्सा है। क्या तुम्हारे साथ किसी नेता ने..........<br />
भिखमंगा(1) - बाबा कल से यहाँ कइ नेता आ रहे है। इस जगह झण्डा का उदघाट्न होना है।<br />
<br />
बचरा - हां बाबा! कल तीन नेता लोग देर तक यहाँ बैठे थे। वे लोग ऐसा ही कपड़ा पहने थे।<br />
<br />
बाबा - क्या बेटी! उनलोगो ने......नही......ऐसा कैसे हो सकता है।.....क्या इसी के लिये देश को आजादी मिली......क्या इसी दिन के लिये अंग्रेजो की लाठियाँ खाई, जेल गये......क्या इसी दिन के लिये कुर्बानिया दी गई......नही........अब और नही.........अब और नही.........अब इंसाफ करना होगा........ आजादी की कीमत बतानी होगी।<br />
<br />
भिखमंगा - बाबा........इस लाश का क्या करें। <br />
बाबा - यह लाश यहीं रहेगी। मुख्यमंत्री से इसका हिसाब माँगा जायेगा।इस देश के हर गरीब - अबला मजदूर की रक्षा की जिम्मेवारी उनके उपर है, क्यों......एक अबला की इज्जत लूटी गई.......अब न्याय करना होगा, जब तक न्याय नही....होगा। लाश यहाँ से नही हटेगी..... हमलोग धरना देगें। सत्याग्रह करेगें। जाओ सबसे कह दो यहाँ आकर बैठ जाये।<br />
(धीरे - धीरे सारे लोग जमा हो बैठ जाते है। उनके चेहरे पर आक्रोश है। सिपाही का प्रवेश)<br />
<br />
सिपाही - अरे! क्या बात है। तुमलोग इस तरह यहाँ बैठे क्यों हो। थोड़ी देर में मुख्यमंत्री<br />
<br />
आनेवाले है। चलो - भागो यहाँ से........अरे भागते क्यों नही यहाँ से....... अरे भागते क्यों नही....(पगली को <br />
<br />
देखता है) इससे क्या हुआ....मर गई क्या।<br />
<br />
बाबा - हाँ मर गई। इसे मार डाला तुम्हारे व्यवस्था ने.......इसकी इज्जत लूट ली इस देश के इज्जतदारो ने.......<br />
.<br />
सिपाही - क्या बक रहे हो। चलो भागो यहाँ से......<br />
<br />
बाबा - जब तक न्याय नही होगा। हमलोग यहाँ से नही हटेंगे। ये सत्याग्रह चलता रहेगा।<br />
<br />
सिपाही - वाह! अब भिखमंगे भी सत्याग्रह करने लगे। अरे चलो हटो, मुख्यमंत्री आनेवाले है, नौटंकी मत करे, नही तो मार डंडा हड्डी ढ़ीला कर देंगे।<br />
<br />
बाबा - हमलोग नही हटेगें। सत्याग्रह चलता रहेगा।<br />
<br />
भिखमंगे - इंकलाब जिन्दाबाद , इंकलाब जिन्दाबाद<br />
<br />
सिपाही - ठीक है मत हटो, नेतई करो। साला जिसे देखो, इंकलाब जिन्दाबाद....... और अब भिखमंगे भी......... इस देश का पता नही क्या होगा।<br />
<br />
(इसी बीच तीनो नेताओं का प्रवेश )<br />
<br />
नेता(1) - अरे! यहाँ तो मामला कुछ गड़बड़ लग रही है<br />
<br />
नेता(2) - यार! कल नशे में गलती हो गई। साली मिली थी तो पगली.....<br />
<br />
नेता(3) - सिपाही से पूछते है क्या मामला है.....सुनिए सिपाही जी......<br />
<br />
सिपाही - अरे आपलोग। अब देखिए ना इनलोगो को......साले भिखमंगे पता नही क्या हो गया......इन छोट जात लोग को .....कह रहे है, हट जाओ मुख्यमंत्री आनेवाले है, पर साले हटते ही नही...........<br />
<br />
नेता(1) - आप कहाँ जा रहे थे........<br />
<br />
सिपाही - जा रहे है! थाना। बड़े साहब को खबरदार करने। मुख्यमंत्री के आने से पहले इनलोगो को हटाना होगा.....भईया नौकरी है न.....<br />
<br />
नेता(2) - लगता है बात बढ़ गई।<br />
<br />
नेता(3) - बात ज्यादा बढ़ी तो परेशानी हो सकती है। मामला यहीं सुलझ जाये तो ठीक है।<br />
<br />
नेता(1) - सुनिए सिपाही जी......क्या हो गई।<br />
<br />
सिपाही - पता नही! एक पगली थी मर गई है। उसकी इज्जत किसी ने लूट ली। इसी बात का मुद्दा बना ये हँगामा कर रहे है।<br />
<br />
नेता(1) - सुनिये! ये लिजीये 100 - 200 रूपया देकर कहीये इनको कि लाश हटा ले, इसका क्रियाक्रम करें।<br />
<br />
सिपाही - ठीक है साहब! आपलोग बहुत दयालु है।(जाने लगता है।)<br />
<br />
नेता(2) - सुनो......अगर इतना पैसा में ना हो तो थोड़ा और दे देंगे।<br />
<br />
(सिपाही पैसा लेकर आता है।)<br />
<br />
सिपाही - सुनो! ये लो 100 रूपया इस पगली को हटाओ’ और इसका क्रियाक्रम करो। साला लोग पैसा कमाने का नया - नया धंधा अपनाते है।<br />
<br />
बाबा - जब तक न्याय नही होगा‘ हमलोग नही हटेंगे।<br />
<br />
सिपाही - क्या तब से न्याय - न्याय की रट लगा रखा है। क्या हुआ सर पर आसमान टूट पड़ा है, मर गई इसके<br />
<br />
क्रियाक्रम का पैसा रखो जाओ यहाँ से......टेन्सन मत करो.......हमारी भी नौकरी है....<br />
<br />
बाबा - हाँ आसमान टूट गया है। आजाद भारत में सभी की अस्मत की जिम्मेवारी आपकी है। आपकी लापरवाही का ही यह नतीजा है।<br />
<br />
सिपाही - क्या नतीजा है। मर गई........हर रोज लोग मरते है......इसकी जिम्मेवार पुलिस कब तक रहेगी।<br />
बाबा - ये मरी नही‘...... इसकी हत्या की गई है।कल रात इसकी इज्जत लूट ली गई...... इसके साथ बलात्कार किया गया।<br />
<br />
सिपाही - क्या कहानी गढ़ रहे हो। पगली के साथ बलात्कार......कोई पागल था क्या.....<br />
<br />
बाबा - हाँ पागल था, दिमाग का पागल, वासना का पागल, विचारों का पागल था। जिसने इस पर रहम नही किया, इसके साथ खिलवाड़ किया। <br />
<br />
बचरा - बाबा कल शाम को देर तक वही तीनों थे... होटल में बैठे थे।<br />
<br />
होटलवाला - बाबा ... किसी से कहना नहीं .... उन तीनों ने दुकान बन्द करते समय गिलास मांगी थी, तीनों शराब पी रहे थे... <br />
<br />
सिपाही - क्या बकते हो । अरे वे कितने दयालु हैं पता है। उन्होने ही तो पैसे दिये हैं ताकि इस पगली का <br />
<br />
क्रियाकर्म हो । चलो जल्दी करो मुख्यमंत्री आने वाले हैं.... पैसा पकड़ो और मामला रफा - दफा करो...<br />
<br />
बाबा - वाह रे ! जिसने जख्म दिया वहीं अब मरहम लगाने लगे । सिपाही जी क्या तुम्हारे घर यह घटना घटती तो क्या तब भी तुम कुछ पैसे ले मामला रफा-दफा करते ... <br />
<br />
(इस तरफ माइम में दृश्य, नेता लोगों के तरफ दृश्य सजीत)<br />
<br />
नेता(1) - लगता है मामला तुल पकड़ रहा ? यहां रहना ठीक नहीं हंगामा हो सकता है।<br />
<br />
नेता(3) - उद्घाटन का समय हो रहा है। जल्दी कुछ उपाय ना किया गया तो परेशानी हो जाएगी ।<br />
<br />
नेता(1) - मेरे ख्याल से स्कूल के बच्चों को जल्दी बुला लिया जाए।<br />
<br />
नेता(2) - बच्चों से क्या होगा । उन्हें तो स्वागत गान के लिये बुलाया जा रहा है। <br />
<br />
नेता(1) - बच्चे पहुंच जायेंगे तो मामला थोड़ा हल्का हो जाएगा।<br />
<br />
नेता(3) - चलो अभी यहां से चलते हैं नहीं तो गड़बड़ हो सकता है। दूसरे जगह जाकर प्लान करते हैं।<br />
<br />
दोनों - चलो!<br />
<br />
(तीनों निकल जाते हैं। प्रकाश पुनः माइम दृश्य पर)<br />
<br />
सिपाही - तो तुमलोग नहीं मानोगे ,हम अभी फोर्स बुलाकर तुमलोगों को हटाते है। सालें भिखमंगे नेतई करने लगे है.... साला एक -एक को मार-मार के भुर्ता बना देगें।<br />
<br />
(सिपाही चला जाता है। बाबा सत्याग्रह में बैठें है। पाश्र्व में बच्चों के उतरने की आवाज सुनाई देती है। पाश्र्वस्वर (स्त्री- चलों बच्चों एक लाइन बना खड़े हो जाओ चलो गीत का रिहर्सल करें-पाश्र्व से ही..... सारे जहां से अच्छा .....हिन्दुस्ता हमारा..... .. गीत)<br />
<br />
बचरी - बचरा ये सब बच्चे पढ़ते हैं ना<br />
<br />
बचरा - हाँ बचरी उनके कपड़े कितने अच्छे लग रहें हैं ना......<br />
<br />
बचरी - हमलोग भी अगर पढ़े तो हमलोग को भी इतना सुन्दर कपड़ा मिलेगा....<br />
<br />
बचरा - तु तो लड़की है। लड़की थोड़े ही पढ़ती है।<br />
बचरी - लड़की लोग कैसे नहीं पढ़ती .... देखो तो उधर तो लड़की -लड़का सब है।<br />
<br />
बचरा - अरे हाँ । लड़की लोग भी है। अच्छा पढ़ने से क्या होता है।<br />
<br />
बचरी - पढ़ने से गाड़ी में बैठने को मिलता है.... अच्छे कपड़े खाना मिलते है...<br />
<br />
बचरा - सच... तब हमलोग भी पढ़ेगें पर पढ़ेगें कब ... और पढ़ेगे तब भीख कब मागेंगे... भीख नहीं मागेंगे तो खायेंगे क्या....<br />
<br />
बचरी - हाँ हमलोग तो भीख माँगने वाले बच्चे हैं...... बच्चें नहीं .... हमें आजतक किसने बच्चा समझा .... सभी हमें कुत्ते की तरह दूतकारते हैं...... काश ... हम भी पढ़ सकते ... हम भी अच्छे बच्चे होते ....<br />
<br />
बचरी - उदास क्यों होते हो ... बाबा हमें प्यार करते हैं , हमारी बस्ती के सभी तो हमें प्यार करते है।<br />
<br />
बचरा - हाँ .. चलो हमलोग भी गाये<br />
<br />
बचरी - हाँ , चलो हमलोग भी गाए....<br />
<br />
(दानों गीत गाते हुए लाश की तरफ बढ़ते हैं। तथा बाबा के पास जाकर गुनगुनाते है....)<br />
<br />
बचरा - बाबा ! सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां का अर्थ क्या होता है।<br />
<br />
बेटा - बेटा! इसका अर्थ होता सारे विश्व में हिन्दुस्तान सबसे अच्छा है।<br />
<br />
बचरा - मेरा हिन्दुस्तान सबसे अच्छा , बचरी मेरा हिन्दुस्तान सबसे अच्छा<br />
<br />
बचरी - और बाबा ... हम बुलबुले हैं इसके ये गुलिस्तां हमारा का मतलब<br />
<br />
बाबा - ये तुम्हारे लिये नहीं है बेटे ! तुम बुलबुले नहीं यह तो उनके लिये है जिनके माँ-बाप के पास पैसो का अम्बार है, गाड़ी -घोड़ा है। ये तुम्हारे लिये नहीं है...<br />
<br />
बचरा - कोई बात नहीं बाबा। हमारा हिन्दुस्तान सबसे अचछा तो है.... क्यों बचरी<br />
बाबा - (रूंधे गले से) हाँ बेटा.... सारा जहाँ से अच्छा हिन्दुसतान हमारा... हमारा हिन्दुस्तान सारे जहां से अच्छा है- सारे जहां से अच्छा हे।<br />
(इतने में पुलिस के सायरन की आवाज सुनाई देती है।) बाबा चैकते है। पाँच - छः पुलिस वाले हाथ में लाठी के <br />
<br />
साथ आते है।, और लाश की तरफ बढ़ते है।<br />
<br />
इंसपेक्टर - तुमलोगों का मुखिया कौन है! बोलो। (सभी चुप) इस लाश को उठाकर चुपचाप चलते - फिरते नजर <br />
<br />
आओ। दस मिनट के बाद मुख्यमंत्री उद्घाटन करने आ रहे है। कोई लफड़ा नही होना चाहिये।<br />
<br />
बाबा - हमलोग इंसाफ चाहते है।<br />
<br />
इंसपेक्टर - बोलो! क्या बात है।<br />
<br />
बाबा - इस बेचारी के साथ कल रात खद्दरधारी लोगो ने बलात्कार किया, ये मर गई।<br />
<br />
इंसपेक्टर - ठीक है! कल जाकर थाने में रिपोर्ट करवा देना। आगे कारवाई कि जायेगी। <br />
<br />
बाबा - कल नही फैसला आज होगा। अभी.....वे खद्दरधारी यहीं है, उन्हे गिरफ्तार करें।<br />
<br />
इंसपेक्टर - तुम्हारे पास सबुत है ?<br />
<br />
बाबा - यह खद्दर का टुकड़ा। जो मेरी बेटी के हाँथ में था।<br />
<br />
इंसपेक्टर - कोई चश्मदीद गवाह<br />
<br />
बाबा - ये होटलवाला है साब............<br />
<br />
होटलवाला - हाँ साब! कल शाम दुकान बंद करते वक्त तीन खद्दरधारी नेता मुझसे गिलास मांगे और शराब पी..........<br />
<br />
इंसपेक्टर - शराब पी......बलात्कार तो नही किया, तुमने उसे बलात्कार करते देखा था।<br />
<br />
होटलवाला - नही....<br />
<br />
इंसपेक्टर - साला ! झूठ का चश्मदीद गवाह बनता है। जानता है चश्मदीद गवाह किसे कहते है। झूठ बोल <br />
<br />
दूसरे को फंसाने के जूर्म में अन्दर कर दूंगा, साले जमानत तक नही मिलेगी।<br />
<br />
सिपाही - सर वायरलेश से खबर आई है कि मुख्यमंत्री यहाँ के लिये रवाना हो चुके है।<br />
<br />
इंसपेक्टर - चलो भागो यहाँ से मुख्यमंत्री के आने कि सुचना मिल चुकी है। चलो भागो.... जाओ कल रिपोर्ट लिखा लेना.....भागो।<br />
<br />
बाबा - हमलोग मुख्यमंत्री को अपना दुखड़ा बतायेंगे। उनसे इंसाफ मांगेंगे । हमलोग उनसे बात करेंगे।<br />
<br />
इंसपेक्टर - क्या मुख्यमंत्री से बात करेगा। एप्वायमेंट लिये है। साला हर ऐरा गैरा मुख्यमंत्री से बात करेगा। <br />
<br />
जैसे मुख्यमंत्री इसके लिये बैठे हों.......<br />
<br />
बाबा - मुख्यमंत्री हमारे लिये नहीं तो किनके लिये है। हमने उन्हें वोट देकर गद्दी पर बैठाया है...,हमारी नहीं <br />
<br />
सुनेंगे तो किसकी सुनेंगे । ये गणतंत्र भारत है। आजादी के लिये हमने लड़ाई लड़ी है। उन्हें हमसे बात करनी होगी<br />
<br />
इंसपेक्टर - कल कोई देशभक्ति फिल्म देखी थी क्या जो डायलाग झाड़ रहा है। जेल में डंडा पड़ेगे तो गर्मी निकल जाएगी- भागो यहां से.......<br />
(इंसपेक्टर तीनों नेता के पास आकर- बात बिगड़ रही है साले मानते नहीं है। मुख्यमंत्री साहब यहां के लिये निकल पड़े है।<br />
<br />
नेता(1) - इंसपेक्टर ! आप उनलोगों को संभालिए मैं मुख्यमंत्री से बात कर लूंगा<br />
<br />
इंसपेक्टर - देखिए गड़बड़ नहीं होनी चाहिए वरना नौकरी खतरे में पड़ जाएगी।<br />
<br />
नेता - घबराइए नहीं । हम आपके लिये बात करेंगे । बस आप उनलोगों को रोकिए।<br />
<br />
इंस्पेक्टर - ठीक है । (सिपाहियों से) सिपाहियों ! साहब आ रहे हैं तैयार हो जाओ ।अटेन्शन!<br />
<br />
(सायरन की आवाज । बच्चों के गीत का स्वर तेज होता है। मुख्यमंत्रीजी का आगमन वे झंडा फहराने के बाद तीनों नेता साथ लग जाते हैं । भिखमंगो की भीड़ लाश के पास आगे बढ़ना चाहती है परन्तु पुलिस बल उेन्हे रोकते है। झण्डा उद्घाटन के बाद)<br />
<br />
मुख्यमंत्री - वे लोग कौन है?<br />
<br />
नेता(1) - पास की बस्ती के लोग है। आपके दर्शन के लिये आये है।<br />
<br />
मुख्यमंत्री - लगता है। कुछ कहना चाहते हो <br />
<br />
नेता(2) - सर ! ये अपना दुखड़ा रोयेंगे बस्ती विकास के लिये आवेदन दिये थे, हमलोग कार्य कर रहे हैं।<br />
<br />
नेता(3) - सर ! ये लोग कुष्ठ रोगी और भिखमंगे है। जल्दी निकल चले नहीं तो बिमारी भी लग सकती है।<br />
<br />
इंस्पेक्टर - सर खबर आई कि उग्रवादी संगठन तोड़ फोड़ की योजना बनाए है। यहां ज्यादा देर रूकना ठीक<br />
<br />
नहीं। इस भीड़ में उग्रवादी अपना फायदा उठा सकते है।<br />
<br />
मुख्यमंत्री - सर हिलाते वापस चलें जाते हैं।<br />
<br />
(मुख्यमंत्री के जाते ही सारे जहां से अच्छा गीत थम जाता है। गाड़ी जाने की आवाज स्वर (स्त्री) चलों बच्चों, बस में बैठो। भिखमंगों के बीच रोष)<br />
<br />
बाबा - चला गया मुख्यमंत्री साहब चला गया । अब इंसाफ कैसे होगा।<br />
<br />
भिखमंगा(1) - गरीबों की कोई नहीं सुनता बाबा, गरीब आदमी नहीं कीड़ा होता है। हम कीड़ा है बाबा कीड़ा।<br />
<br />
बाबा - नहीं कोई कीड़ा नहीं सब आदमी है। इंसाफ होगा आज होगा।<br />
<br />
बचरा - बाबा देखो उनलोगों को कैसे हंस रहे है। कितने भयानक दिखाई देते है।<br />
<br />
बाबा - पत्थर उठा कर मारता है।<br />
<br />
बाबा - सालों एक गरीब दुखियारी की अस्मत से खेल हँसते हो। साले, कुत्ते आजादी के लड़ाई बेकार गई । तुम साले जानवर से भी दरिनदे हो।<br />
<br />
इंस्पेक्टर - साला ! पुलिस पर पत्थर फेकता है। हरामजादा ! मारो सालो को पुलिस उसे पीटते हैं। वह उपने को बचाता है। बचरा दौड़कर एक नेता को पकड़ लेता है।<br />
<br />
बचरा - यही था रात में यही था । इसने ही पगली चाची को मारा है। मैं इसे नहीं छोड़ुंगा।<br />
<br />
नेता(1) - साला ! नाली के तैयार कीड़े तेरी औकात कैसे हो गई, हाथ लगाने की (मारता है)<br />
<br />
<div style="text-align: left;">
नेता(2) - (बचरी को पकड़ते हुए) साली कल भीख मांग रही थी, चल तुझे आज जी भर कर भीख देंगे।</div>
<br />
(उसे पकड़ अपने साथ ले जाना चाहते हैं।)<br />
<br />
बचरी - बाबा बचाओ! बचाओ ! बचरा दौड़ता है।<br />
<br />
बचरा - कमीने,गन्दे लोग...... नेता से बचरी को छुड़ा उस पर टूट पड़ता है।<br />
दूसरा नेता पूलिस से रायफल ले उसके बट से सर पर मारता है। बचरा छटपटाकर गिर पड़ता है, और मर जाता है।<br />
<br />
बचरी - नहीं ऽ ऽ बाबा ऽ ऽ<br />
<br />
इनलोगों ने बचरा को मार डाला बाबा.... बाबा.....<br />
<br />
(बचरी को उसके लाश से नेता और इंस्पेक्टर मिल हटाते है, और खिचते हुये ले जाने की कोशिश करते हैं। बाबा उसे बचाने की कोशिश में उठता है। सिपाही उसे गोली मार देता है।<br />
<br />
सिपाही - साला ! वर्दी पर हाथ डालता है। भाषण देता है, आजादी का पाठ पढ़ाता है। कमवख्त जा आजाद हो जा.... (गोली बाबा को मारता है।)<br />
<br />
सिपाही - सर!<br />
<br />
इंस्पेक्टर - अब क्या होगा।<br />
<br />
नेता(1) - कुछ नही होगा। कह देना मुख्यमंत्री बस्ती में गये हुए थे, यह बुढ़ा भी भिखारी के रूप में उग्रवादी था। जिसने मुख्यमंत्री पर जानलेवा हमला करने कि साजीश रची थी, तथा मुठभेड़ में मारा गया।<br />
<br />
बाबा - (कहते हुए) मैं.....मैं.....उग्रवादी नही......मैं स्वतंत्रा सेनानी हूँ.......मैने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी।.........ये कुर्बानीयाँ मेरा ताम्रपत्र.....मेरे स्वतंत्रा सेनानी का गवाह है।........मै उग्रवादी नही........दम तोड़ता है।<br />
<br />
इंस्पेक्टर - ये तो स्वतंत्रा सेनानी निकला। अब क्या होगा। हँगामा होगा।<br />
<br />
नेता(2) - कुछ नही होगा। सियासत मुझे चलानी आती है,सियासत की जब चक्की चलती है तो ऐसे कितने लोग उसमें पिसते है। इनके कब्र पर ही हमारी सिंहासने टिकी होती है। तुम फौरन हैडक्वाटर मैसेज भेजो। उग्रवादीयों द्वारा हमला किया गया है। बस्ती में उग्रवादी छुपे है। बस्ती को उजाड़ फेकों। इन भिखमंगो की बस्ती का नामो निशान मिटा दों.....<br />
<br />
इंस्पेक्टर - सिपाहियों! बस्ती में उग्रवादियों के होने की सूचना मिली है। बस्ती एक - एक घर की तलाशी लो, बस्ती का नामो निशान मिटा दों। यह उग्रवादियों का शरण स्थल है। जाओ‘ जो भी इसका विरोध करें उसको खत्म कर दों।<br />
<br />
नेता(2) - (ठहाका लगाते हुये) बस्ती उजड़ेगी तभी मार्केट काम्पलेक्स बनेगा - तभी जाकर होटल बनेगा। मास्टर प्लान में यह जगह सोना है सोना ...............<br />
<br />
इंस्पेक्टर - सर इस बच्चे की लाश कया करें<br />
<br />
नेता - इसे........इसे दूसरे थाना सीमा के गटर में डाल दो, मै दूसरे सीमा के थाना इंचार्ज से बात कर लूगाँ। यह साला दारू पीकर नाली में गिर गया, और मर गया.......जाओ.....खुशीयाँ मनाओ......तुमने मुख्यमंत्री की जान बचाई है।<br />
तुम्हारे प्रमोशन के लिये हम बात करेगें। <br />
इंस्पेक्टर - ओके सर जै हिंद.................<br />
<br />
इंस्पेक्टरः- वायरलेस से हेडक्वाटर मैसेज भेजो। उद्घाटन स्थल पर झण्डोतोलन के बाद उग्रवादियों ने <br />
<br />
गोलीबारी किया, जिसमे दो उग्रवादी मारा गया । ये समाचार सभी न्यूज पेपर में भेज दो।<br />
<br />
(प्रकाश धीरे-धीरे सिमटा वृत में नेता-इंस्पेक्टर तक सिमित होता जाता है। )<br />
<br />
नेता(1) - उग्रवादीयों के हमले से मुख्यमंत्रीजी बाल-बाल बचे।<br />
<br />
नेता(2) - एक महिला उग्रवादी पगली के रूप में भिखमंगों की बस्ती में रहती थी, जिसका नाजायज संबंध <br />
<br />
उग्रवादियों से था, इससे पता चलता है कि उस रात उक्त उग्रवादी ने......नाबालिग बच्ची से बलात्कार किया था। जिसकी लाश सुबह बस्ती के पिछे पाई गई। <br />
<br />
एक लवारिस बच्चे की लाश गटर से बरामद। ऐसा प्रतित होता है जैसे अत्यधिक नशे के कारण गटर में गिर पड़ा हो, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।<br />
<br />
तीनो नेता एंव इंस्पेक्टर साथ खड़े हो त्रिशंकु का मोनोग्राम बनाते है तथा सम्मिलित स्वर में.......<br />
सम्मिलित स्वरः- लाल किले से गरीबों के लिये अनेकों योजनाओं की घोषणा। गरीबी रेखा से नीचे रहने वालें को स्वतंत्रता दिवस पर आवास प्रदान की जायेगी। महिलाओं को विशेष छुट......<br />
<br />
<span style="font-size: large;">नाटककार- सूरज खन्ना<br />विशेष अनुरोध- यदि आप इस नाटक का मंचन,प्रकाशन,अनुवाद करना चाहते है तो नाटककार को सूचना अवश्य दें</span> <br />
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</span></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-82580467463140304332012-02-02T18:05:00.000+05:302012-02-02T18:05:40.130+05:30वे जिन पर गिरगिट भी शरमाते हो ...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
<span class="fullpost">झारखंड में CNT की धारा 46 का जो मामला जो अभी वर्तमान चल रहा है उसमे हमारे माननीय नेताओं का जो ब्यान आ रहा है कई बार जो खुद के ब्यान पर भी मुकर जाते है या ब्यान बाज़ी की आदत से जो मन आता बोल जाते है उससे लगता है की जो कल तक चट्टानों की तरह मज़बूत थे,आज उन पर भी दरारें आ गई ....लगता है ये दरारें उनकी चट्टानी मजबूती को कही पत्थर के टुकड़ों मे ना बाँट दे और इसका फ़ायदा उठा कही कोई नया नेता ना जन्म ले ले ....
</span></div>
</div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-62279693762746980162012-01-30T07:30:00.000+05:302012-01-30T07:30:02.952+05:30कितना वक़्त चाहिए....3<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost">
कल आपने पढ़ा <strong>सम्पूर्ण छोटानागपुर क्षेत्र में अधिनियम का उल्लंघन </strong>एवं राजस्व मंत्री का स्टेटमेंट जिसे हमने स्थानीय अख़बार के माध्यम से आपको जानकारी दी थी ......पर अब सवाल उठता है की क्या वाकई वैसा होगा जैसा की मंत्री जी स्टेटमेंट है या फिर मामले उसी तरह दब जायेंगे जैसे आदिवासी मामलों में होता है ......छोटानागपुर काश्तकारी अभिनियम की धारा 71 A<span> में धारा 46<span> के उल्लंघन के बदले भूमि वापसी का प्रावधान है ,हमारे राज्य के कई नेता, पूर्व मंत्री इस धारा के खिलाफ है ,उनका कहना है की इस धारा की गलत ब्याख्या कर SAR कोर्ट मामले को उल्टा कर वापसी की जगह कम्पंसेसन कर देते है इस काम के लिए कोर्ट वकीलों के साथ मिल कर धन उगाही करता है पैसों के लिए झूठी गवाही के आधार पर पहले से तय आदेश देता है .......भूमि वापसी के आदेश कम और कम्पंसेसन के आदेश ज्यादा देते है ......इन नेताओं कई बार SAR कोर्ट को बंद करने के लिए रैली -जुलूस निकल चुके है ..... खैर ...इन सबसे हट कर </span></span> </span></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-64936996502562373062012-01-29T08:00:00.000+05:302012-01-29T08:00:01.641+05:30कितना वक़्त चाहिए....2<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
<div style="text-align: left;">
<span class="fullpost">
कल हम चर्चा कर रहे थे की छोटानागपुर के लिए विशेष "छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम " है जिसके कई धारा यहाँ की भूमि के खरीद - बिक्री से सम्बंधित है ...................वर्तमान सम्पूर्ण झारखण्ड में खास कर छोटानागपुर क्षेत्र में जहाँ यह एक्ट प्रभावित है ...आज - कल इस एक्ट की धारा 46 चर्चा में है क्योंकि<strong> धारा 46</strong><strong> में जहाँ यहाँ की अनुसूचित जनजाति की भूमि के लिए एक ही थाना क्षेत्र के खरीददार का होना एव अनुसूचित जनजाति का होना जरुरी है वही इसी धारा में यहाँ के अनुसूचित जाति की भूमि के खरीद - बिक्री के लिए सम्बंधित जिले का निवासी एव अनुसूचित जाति का होना तथा BC CLASS</strong><strong> की भूमि खरीद - बिक्री के लिए भी BC CLASS का एव सम्बंधित जिले का होना जरुरी है ........और भूमि के खरीद - बिक्री के लिए जिला उपायुक्त से भूमि खरीद - बिक्री के पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है</strong> ........ वैसे तो इसे पढने पर कोई विशेष बात नहीं दिखाई पड़ती है परन्तु अब हम यह कहे की<strong> सम्पूर्ण छोटानागपुर क्षेत्र में उपरोक्त अधिनियम का उल्लंघन</strong> किया गया है तो इधर ध्यान चला जाता है .......वर्षों से छोटानागपुर क्षेत्र में इस अधिनियम का उल्लंघन होता रहा ....सम्पूर्ण छोटानागपुर क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए तो उपायुक्त की अनुमति तो ली जाति रही पर अनुसूचित जाति एव BC क्लास के लिए उपायुक्त से कोई अनुमति प्राप्त नहीं की गई यहाँ तक की अनुसूचित जाति एव BC क्लास की जमीने अन्य वर्ग के लोगों ने खरीद ली वह भी रजिस्ट्री ऑफिस से बजाप्ता रजिस्ट्री करवा कर ,सरकार द्वारा तय निर्धारित मूल्य का स्टाम्प ड्यूटी चूका कर ......ऐसे भूमि का सम्बंधित अंचल में दाखिल ख़ारिज भी हो गया ........अब सरकार की नींद टूटी है झारखण्ड हाई कोर्ट के आदेश पर जहाँ कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया की किसी भी कानून को अध्यादेश से या फिर आदेश से समाप्त नहीं किया जा सकता ..............इस स्थिति में सरकार के समक्ष अजीब सी स्थिति पैदा हो गई है......की क्या करे ........खुद कई सरकारी नौकर शाह भी इस तरह की भूमि को खरीद चुके है ............... झारखण्ड के भू - राजस्व मंत्री ने भी इस पर कड़े कदम उठाने के संकेत दिए है जिसे इस लिंक में आप देख सकते है <a href="http://epaper.prabhatkhabar.com/newsview.aspx?eddate=1/28/2012">http://epaper.prabhatkhabar.com/newsview.aspx?eddate=1/28/2012</a> 12:00:00 AM&pageno=1&edition=9&prntid=20159&bxid=29842120&pgno=1 </span></div>
</div>
</div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-12822753717091153452012-01-28T15:22:00.000+05:302012-01-28T15:22:10.203+05:30कितना वक़्त चाहिए....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fullpost"></span><div style="text-align: left;">
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<span class="fullpost">कई प्रश्न मन में उठते है ...मसलन ...इक नए राज्य को बिकसित होने में कितना समय चाहिए ...पांच साल...दस साल ..............हमारे झारखण्ड को बने हुए बारह साल हो चुके है ...... सन २००० में इसका जन्म हुआ था इससे पूर्व यह बिहार के नाम से जाना जाता था झारखण्ड के निर्माण की बात उठी तो मन काफी प्रसन्न था .....उम्मीद थी की झारखण्ड से हमारी एक नई पहचान बनेगी .....देश में कही भी हम सर उठा कर घूमेंगे ....क्योंकि जब यह राज्य बिहार था तो कही भी यह बताने पर की हम बिहार से आते है हमें काफी गिरी हुई नज़रों से देखा जाता था ....बिहार ...बिहारी अन्य राज्यों में दबंग ....लाठी के बल पर जीने वालों की दृष्टि से देखा जाता था तात्कालिक बिहार की राजनैतिक ब्यवस्था और बिहारी मानसिकता दुसरे ज़गहों पर हंसीं का पात्र बन चुकी थी ......हम खुद पर कितना ही गर्व कर लेते परन्तु अन्य राज्यों पर जाते ही हमें हमारा परिचय राज्य का नाम जानते ही जो हाल होता उसे भुक्तभोगी ही बता पता इसी स्थिति पर खुद को कायम रखने के लिए बिहारी छवि को बरक़रार रखना भी मज़बूरी हो जाती ..........हमारा क्षेत्र छोटानागपुर क्षेत्र के रूप में जाना जाता था ......आदिवासी बहुल क्षेत्र ....खनिज सम्पदा से भरा क्षेत्र ....जहाँ के मूल वासी ....सदान..... जिन्हें शायद खनिजों की उपयोगिता का सही ज्ञान नहीं रहा हो ....इस पुरे छोटानागपुर पर ....खनिज सम्पदा पर इस क्षेत्र से बाहर के लोगों का इक तरह से अधिकार हो गया ....मूलवासी यहाँ ज़्यादातर मजदूर हो गए ........... मूलवासी ..आदिवासी की मिलनसार एव हडिया जो चावल से बना एक पेय पदार्थ है जिसे पीने से नशा होता है , के सेवन ने अन्य जगहों से आने वालों को शोषण करने के लिए उकसाया ..........छोटानागपुर क्षेत्र से बाहरी लोगों के द्वारा अपना अधिपत्य कायम रखने के लिए इनके बीच जो संभव हो सका हर हथकंडा अपनाया गया ......खैर ...आज हम बिहार और झारखण्ड की तुलना करते है तो बिहार में जैसा की हम समाचार पत्रों में पढ़ते है झारखण्ड की तुलना में काफी बिकसित हो चूका है .....खुद मैंने बिहार की राजधानी पटना में जब आज से तीन वर्ष पूर्व गया तो पाया की पटना में कई जगहों में ओवर ब्रिज बन गए है वहां की ट्राफिक काफी अच्छी हो चुकी है .......पटना के जिस रास्तों पर मैं पैदल चला करता था वे मुहल्लें ,रास्ते सभी नए हो गए थे .......और हमारा झारखण्ड अपने स्थापना के दिन से ही सिर्फ नई राजधानी का एनाउंस की करता रहा ......सरकार नई राजधानी के भूमि चयन करने में कई इलाकों में भूमि देखती ही रही और उनकी ढुलमुल निति के कारण कई भूमि दलालों मालामाल हो गए ... कर दिए गए ....नई राजधानी के लिए जिस तरफ सरकार की नज़र जाती बाते सिर्फ कागजों पर होती और इस इलाके के भूमि मालिकों के साथ ज़मीं दलाल सिर्फ एग्रीमेंट कर भूमि काफी मुनाफा कमा कर बिक्री करते रहे ......राजधानी में बसने की चाहत लिए अगल - बगल शहरों के तथा कारबार के किये पडोसी राज्यों के लोग ताबड़- तोड़ बिना देखे ज़मीं खरीदते गए ........दलाल मालामाल होते गए .....नए -नए बिल्डर आये ....प्रलोभन देते गए भूमि बेचते रहें ....इन सबके बीच न तो भूमि खरीदने वालों ने यहाँ के लोकल कानून को देखा न ही बिल्डर और भूमि बिक्रेता ने कानून को देखने की कोशिश की ...जबकि छोटानागपुर के लिए विशेष "छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम " है जिसके कई धारा यहाँ की भूमि के खरीद - बिक्री से सम्बंधित है ....................</span></div>
</div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-79704948977435254842012-01-24T20:02:00.002+05:302012-01-24T20:02:30.165+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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कल एक व्यक्ति से मुलाक़ात हुई, बेचारे अपने मोबाइल से किसी सज्जन से कह रहे थे की आज छुट्टी है ....जानकारी के लिए बता दूं की झारखंड सरकार ने नेताजी जयंती पर २३ जनवरी को सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की है ...दूसरी तरफ से पुछे जाने की क्या चीज़ की छुट्टी है ...व्यक्ति इधर-उधर झँकते हुए जवाब देते है की किसी नेता की जयंती है या शायद मृत्यु दिवस है ........</span></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-33577144512071170342012-01-23T21:34:00.001+05:302012-01-23T21:34:57.843+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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इक व्यक्ति शाम को काम करके थक कर अपने घर लौटता है ...घर में भरा-पूरा परिवार है परंतु खुद को अकेला महसूस करता है क्योंकि परिवार के लोग टी वी देखने में व्यस्त रहते हैं, कुछ समय के लिए जैसे ही सीरियल में ब्रेक पता है परिवार का ध्यान व्यक्ति पर जाता है और चाय या पानी मिलता है .....</span></div>
</div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-10556419860301026952011-12-19T18:27:00.002+05:302011-12-19T18:27:51.353+05:30फेसबुक, सावधान क्योंकि कुछ फ्रेंड वायरस भी होता है ...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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क्योंकि हर एक फ्रेंड जरूरी होता है ...स्लोगन आपने सुना होगा परन्तु फेस बुक के हर फ्रेंड बेवजह एक गन्दी विडियो के कलैप एवं उसके वायरस से बदनाम होते जा रहे है .......लगभग फेसबुक के सभी यूज़र के पास स्वत फ्रेंड के मार्फ़त चाहे आपके फ्रेंड ने उसे वालपेपर पर पोस्ट किया हो तो भी न किया हो तो भी दोस्तों के नाम से वालपेपर पर चिपका मिलेगा .....आप यदि लालच वश उसे देखने की चेष्टा करेंगे की आपके दोस्तों पर शामत आ गिरेगी .....आपके सभी दोस्तों के वालपेपर पर यह वायरस आ जायेगा ....और आप मुफ्त हुए बदनाम .....दोस्तों फेसबुक को यह पता है पर अधिकारी इसे हटा पाने में अभी अक्षम है ....इस वायरस से आपका डाटा नष्ट हो सकता है .....फेसबुक, सावधान क्योंकि कुछ फ्रेंड वायरस भी होता है ... </span></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-75958419694409768792011-12-16T19:30:00.002+05:302011-12-16T19:30:50.881+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<span class="fullpost">नहीं जानता मैं कि <br />जीतन मरांडी <br />रंगकर्मी का नाम है<br />नहीं जानता मैं<br />वह निर्दोष है या दोषी <br />पर<br />सच तो ये है <br />कि . लोग मारे गये<br />चिलखारी कांड में<br />या शायद<br />पूरी घटना ही काल्पनिक हो....<br />अपने बेटे के शव को देखता <br />बाबूलाल मरांडी की तस्वीर<br />शायद मेरी नज़रों का धोखा हो<br />यदि कहीं कोई मरा हो <br />यदि कहीं कोई हत्या हुई हो<br />यदि ये सत्य है<br />तो<br />कोई तो हत्यारा रहा होगा<br />कौन उसे ढूंढेगा<br />पुलिस,गाव के लोग,<br />जश्न मानते लोग या दुखी,पीड़ित लोग <br />या फिर एक प्रश्न चिन्ह बन कर रह जाएगा<br />चिलखारी </span><br />
</div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-54089599426180353592011-10-20T09:17:00.000+05:302011-10-20T09:17:35.629+05:30मगरमच्छ की आंसु बहा संवेदनाएं प्रकट कर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">क्योंकि हम सिर्फ दुःख प्रकट कर सकते है उनके तकलीफों को महसूस कर सकते है परन्तु जिसे उन्होंने खोया है इसकी पूर्ति नहीं किया जा सकता है. ये बात मैं उन सन्दर्भ में कह रहा हूँ ...कल हमारे शहर में दो आटो में सामने से सीधी टक्कर हो गई जिसमे एक आटो में स्कूल के बच्चे भरे थे इनमे से एक १२ वर्ष का बच्चा अब इस दुनिया में नहीं रहा, कई बच्चे घायल है ..... इसी तरह कल ही एक आटो <span>दुर्घटना में एक स्कूल की छात्रा भी स्वर्गवास हो गई ....आखिर ऐसा क्यों होता है जबकि हमारे यहाँ का पूरा प्रशासन आटो चालकों को सुधरने में लगा है ..... आखिर कब तक आटो चालक खुद को गरीब और प्रशासन का सताये बता कर अपनी मन मर्जी करते रहेंगे ..अमूमन हमने कई शहरों में देखा है आटो वाले अपनी मन मर्जी पर जीतें है, सड़कें उनकी बाप की हो जाती है जहाँ चाहा आटो रोकी , जैसे चाहा चल पड़े चाहें किसी को कुछ भी हो जाये .....ट्राफिक पुलिस जिसकी जिम्मेवारी ट्राफिक व्यवस्था को देखनी है ..ज्यादातर अवैध वसूली में लगे रहते है ....और हम देखा कर अनदेखा कर देतें है क्योंकि हमारे पास समय नहीं रहता या फिर ये रोज़मर्रा की बातें हो गई अत: ध्यान नहीं जाता दुर्घटनाएं होने पर हम मगरमच्छ की आंसु बहा संवेदनाएं प्रकट कर फिर रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त हो भूल जाते ....क्यों </span><br />
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</div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-60950479453556688032011-10-06T10:43:00.000+05:302011-10-06T10:43:35.371+05:30ना जाने कब किस गली में कोई रावण अंकल मिल जाए<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span class="fullpost">आज विजयदशमी है, आज ही के दिन युद्ध में रावण सर पराजित हुए और उनकी मौत हो गई, राम की विजय हुई, राम जी हमारे देवता है,जो हमारे मन के अंदर विराजमान है,इतना ज़्यादा की राम के नाम पर ही एक राजनैतिक पार्टी सत्ता में आई, मंदिर बनाने का वायदा किया...... फिर भूल गये....हम भी भूल गये क्योंकि हमारी राजनैतिक पार्टियाँ नित्य कोई नये मुद्दे छोड़ पुराने को भूलने पर विवश कर देती है...... आज विजयदशमी पर फिर राम-रावण की बात होगी,असत्य पर सत्य के जीत की बात होगी रावण को आज फिर असत्य,अज्ञानता,पाप का प्रतीक माना जाएगा और राम तो हमारे दिलों में है इतना की आज भी हम सीता की अग्नि-परिक्षा लेने में पिछे नहीं हटते ..... और सीता भी अब कहती है यार! जब अग्नि-परीक्षा देनी ही है तो तुम्हरे साथ वनवास क्यों ? कुछ तो खुल कर जीने दो...जीने का भरपूर मज़ा लेने दो ना जाने कब किस गली में कोई रावण अंकल मिल जाए और अग्नि-परीक्षा देनी पड़ जाए..... </span></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-78982534111428882872011-08-30T17:31:00.000+05:302011-08-30T17:31:07.050+05:30घर के दीमक से लड़ाई<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div closure_uid_c51ymi="137" style="text-align: left;"><span class="fullpost" closure_uid_c51ymi="136">बधाई! समस्त देशवासियों को अपने ही घर के दीमक से लड़ाई जीतने की पहले जश्न की बधाई! परन्तु सावधान !अपनी राजनीति के चालों से पानी में भी आग लगाने की जादू जानने वाले अभी सहमति तो दे रहे है परन्तु क्या ये मौका का फायदा उठाने वाले लोग हमेशा आपका साथ देंगे . </span></div><div closure_uid_c51ymi="137" style="text-align: left;"><span class="fullpost" closure_uid_c51ymi="136"><span></span></span><span class="fullpost" closure_uid_c51ymi="136"> झारखण्ड में लोकायुक्त तो है परन्तु उन्हें कोई अधिकार नहीं दिया गया है जिससे उनका रहना या न रहना कोई मायने नहीं रखता, पंचायत चुनाव करा दिए गए,पार्षदों का चुनाव हो गया परन्तु अभी तक इन्हें अधिकार नहीं दिया गया है. बिना अधिकार के ही क्या मुखिया, पार्षद अपना समय गवां देगे या फिर इनकी काम करने की इच्छा ख़त्म हो जाएगी तब इन्हें अधिकार मिलेगा </span></div></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2017288317986156009.post-50311577618906666832011-08-10T20:25:00.002+05:302011-08-10T20:40:37.732+05:30वाह रे चाउमीन<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><div class="separator" closure_uid_gdxchg="133" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirqEyEKEItUDZuGR2M9r1-rF6vbLFBBr0WtZX36U319BpVf5LeptBEDXYx5mhSS6sxgmh170BRwhQNqEo_LHdQz-u4EAgpJZAITg9eUUjTbBXBe6D_OZbFnR1LkWQwzHc4ALilMoB9roY/s1600/Jagarnath+mandir%252C+Ranchi.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" naa="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirqEyEKEItUDZuGR2M9r1-rF6vbLFBBr0WtZX36U319BpVf5LeptBEDXYx5mhSS6sxgmh170BRwhQNqEo_LHdQz-u4EAgpJZAITg9eUUjTbBXBe6D_OZbFnR1LkWQwzHc4ALilMoB9roY/s320/Jagarnath+mandir%252C+Ranchi.JPG" width="320" /></a></div><div closure_uid_gdxchg="135" style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial; font-size: small;"><span class="Apple-style-span" closure_uid_82xlij="125" closure_uid_gdxchg="136" style="font-size: 13px; line-height: normal;"> करीब 10-15 वर्ष पूर्व हमारे शहर में जब रथ यात्रा का मेला लगा करता था तो मेला में सबसे खास बात मेला में मिलने वाला खाना पूरी और कोहड़ा का सब्जी हुआ करता था जो सभी लोग बड़े ही चाव से खाते थे ,उसे एक तरह से भगवन जगरनाथ का प्रसाद माना जाता था परन्तु समय के साथ सब बदल गया अब पूरी और कोहड़ा की जगह चाउमीन ने ले ली है सस्ता और सुलभ.</span></span></div></div></div>suraj khannahttp://www.blogger.com/profile/13661570776118834746noreply@blogger.com0