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बुधवार, 1 अप्रैल 2009

बा मुलाहिज़ा होशियार..


बा मुलाहिज़ा होशियार ...आपके दरवाज़े फिर वही चेहरा रूप बदल कर आ खड़ा होगा, जिसकी धुंधली सी तस्वीर शायद आपको याद होगी ...ये वही लोग है जो पिछली बार आप से मिले थे ...बहुत पहले ...करीब पॉँच साल पहले..आपको देख कर मुस्कुराएँ थे .. आपसे गले भी लगे होंगे परन्तु उसके बाद ये अदृश्य हो जाते है ...आपसे आपकी इच्छानुसार वायदे कर आपके ज़ज्बातों से खेल ये खिलाड़ी न जाने कहाँ गायब हो जाते है ये आपको सूचना अधिकार से भी नहीं पता चलेगा ..होशियार ....होशियार ..वक़्त है पहचानने का...इनके चेहरों को पहचानिये ..ये रूप बदलने में बहुत माहिर है .....ये आपकी आवाज़ में भी बोल सकते है..आपके ब्लॉग तक पहुँच सकते है .. आपका सब ब्लोक करा सकते है .. अच्छे दूकानदार है सब कुछ बेच सकते है ..बोलने में माहिर की मुर्दा भी उठ इनके पक्ष में चलने लगे ... होशियार ..ये वही लोग है ..जिनके पास पॉँच साल पहले कुछ नहीं था परन्तु अब खरबों की सम्पति है, ये दयावान है अपनी सम्पति का कुछ हिस्सा विदेशों में भी रखते है ....हो सकता है आपसे मुलाक़ात में 'कुछ' आपको मिल जाये ......परन्तु होशियार ये गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले है आपसे फायदा दिखा तो आपके दरवाज़े नहीं तो 'युवा' है न देश की धड़कन उसका भी इस्तेमाल किया जायेगा ..मेरे देश के 'युवा' सावधान ..होशियार ...ये तुम्हारे भी नहीं है ..काम निकल जाने के बाद ये तुम्हे दूध की मक्खी की तरह निकल फेकेंगे ....उठो ..जागो ...कोई तुम्हारे कन्धों का इस्तेमाल करे उसे पलट ज़वाब दो ..जागो ..आपने मताधिकार का प्रयोग करों और दुसरो को भी प्रेरित करो ताकि आपने देश का वही रूप तुम जागते हुए भी देख सकते हो जो तुम अक्सर सपने में देखते हो ..उसी भारत की तस्वीर जब तुम बेचैन होते हो तो तुम्हे प्रेरणा देती है ...उठो ..जागो ..चाँद लोगों की उंगुलियां पर नाचने वाली कठपुतलियां मत बनो अपने मताधिकार का सही उपयोग करों,चुनाव के दिन वोट ज़रूर दो, बोगस वोटों का तुंरत वही विरोध करो .

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