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सोमवार, 13 फ़रवरी 2023

 अखिल भारतीय हिंदी नाट्य- लेखन प्रतियोगिता 

प्रथम पुरस्कार 3000/- रूपये, द्वितीय पुरस्कार 2000/- रूपये तृतीय पुरस्कार 1000/- रूपये 

साथ ही दस सर्वोत्तम नाट्य लेख को सम्मान।

सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 20 फरवरी 2023

पुरस्कार की घोषणा तिथि 27 मार्च 2023(विश्व रंगमंच दिवस)


       वसुंधरा आर्ट्स अखिल भारतीय हिन्दी मौलिक नाट्य-लेखन  प्रतियोगिता  का आवेदन पत्र के लिए इस लिंक का प्रयोग करें।    https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSelfj-EWqu9AyeCbVrzH8x5vjYBbG8ONEbOQZRFgqtfs3UvtA/viewform?usp=sf_link   

लिंक ना खुलने या किसी प्रकार की जानकारी के लिए  9113323495 पर सिर्फ व्हाट्सएप कर जानकारी/समाधान प्राप्त करें।

वैसे नाटककार जो ऑनलाइन स्क्रिप्ट नहीं भेज सकते हैं

 वे रजिस्टर्ड पोस्ट वसुंधरा आर्ट्स के निम्न पते पर कर सकते हैं

वसुंधरा आर्ट्स, उर्दू लाइब्रेरी के पीछे, मेन रोड, रांची 834001

सूरज खन्ना

वसुंधरा आर्ट्स, रांची(झारखंड)


आप सभी रंगकर्मियों से निवेदन इस संदेश को अपने सभी रंगकर्मी मित्रों को व्हाट्सएप करे साथ ही इस प्रतियोगिता में भाग लें।

सोमवार, 16 नवंबर 2015

मन को तरोताज़ा करे बिलकुल मुफ़्त

जब  आपका मन खिन्न हो जाये या आपको कुछ भी अच्छा न लगे तो मन को बहलाने के लिए या यूँ कहे की मूड बनाने के लिए सबसे पहले अपने सबसे अच्छे पल को याद करे गहरी साँस ले और जब आप साँस छोड़ेगे  तो साथ ही आप महसूस करेंगे की आपका मन तरोताज़ा हो चूका होगा आप फिर से रिचार्ज हो चूंकि होंगे। 
कभी भी आजमा कर देखे बिल्कुल मुफ्त ……….... 

सोमवार, 2 नवंबर 2015

जीने का अपना अपना फंडा

ज़िंदगी क्या है 
बस 
जीने का तरीका है 
कोई दुखी है 
तो 
कोई सुखी है 
दुखी कौन है 
तो सब दुखी है 
फिर 
सुखी कौन है 
तो सुखी सभी है 
फिर 
बस , जीने का अपना अपना फंडा है 
कहीं कलम है तो 
कहीं डंडा है 

शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

फसाद की जड़

कल "फसाद की जड़" का नाट्य मंचन कान्ति कृष्ण कला भवन रांची में किया जायेगा  

रविवार, 13 जनवरी 2013

पत्थर है हैरान

पत्थर है हैरान, परेशान, अंजान


क्योंकि

उस बच्चे ने पत्थर जो पकड़ी

तो शीशा चूर-चूर हो गया

उस आदमी ने गुस्से में पत्थर जो दे मारा

किसी की मौत हो गई

उस कलाकार ने पत्थर को तराशा

तो भगवान बन गया

उस कारीगर ने पत्थर को सजाया

तो मकान बन गया ..

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

याद करों जनी शिकार

याद करो तुम तपकरा,कोयलकारो,नगडी


जब आज़ाद देश के सिपाही

तुम्हारी ही ज़मीन से

तुम्हारे पुरखों की यादों को

मिटाने के लिए

तुम्हे मारना चाहते थे

तुम्हे भागना चाहते थे

तुम्हारी हाथों में हथकड़ी

पैरों में बेड़ियाँ

बाँध देना चाहते थे

तब

हम ही आगे आए

मोर्चा संभाला

और

अभी तक

तुम्हारा हमारा

तपकरा,कोयलकारो,नगडी

हमारे हाथों में है

जब भी

दुष्ट प्रवृतियों की बुरी नज़र

तुम पर पड़ती है

हम ही आगे आते है

तुम्हारी रक्षा को

और तुम

हमारा हक

मारना चाहते हो

कहते हो, कि

ज़मीन पर हमारा कोई हक नहीं

क्यूँ कहते हो कि हम तुम्हे हक नहीं देंगे

याद करों जनी शिकार

जब तुम मदिरा के नशे में चूर

थक कर सो रहे थे

मुगल सैनिक

तुम्हारे नशे की आदत की आड़ में

तुम्हारे देश

तुम्हारी ज़मीन पर

क़ब्ज़ा के लिए

घात लगाकर

तुम्हे जान से मारने

तुम्हारी जन्म भूमि को

क़ैद करने के लिए

युद्ध के लिए

तुम्हारी धरती पर

अपने नापाक कदम रखे

और तुम

नशे में

सो रहे थे

तब

याद करो

हमने ही तो मर्दाने भेष में

मुगल सैनिकों को

युद्ध में

परास्त किया

भगा दिया उन्हे

अपने ज़मीन,अपनी मातृभूमि से

जिसकी याद में आज भी

बारह वर्षों के बाद

जनी शिकार की याद ताज़ा होती है

और तुम

थोड़े से पैसों...

हड़िया...

इंगलिस दारू..

की चाह में

अपनी ही ज़मीन को

टुकड़ों में बेच

खुद

बेघर हो रहे हो

क्या ज़वाब दोगे

अपने आने वाली पीढ़ियों को

कि थोड़ा सा शराब पिला

तुम्हारी ज़मीन..

दिकुओ ने हड़प ली

और तुम ..

शराब ही पीते रहे

ज़मीन चाह कर भी बचा नहीं पाये

और

हम बचाने आये तो कह दिए

कि तुम्हे कोई हक नहीं है

ज़मीन पर......

क्यों..

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

बुधवार, 15 अगस्त 2012

आज़ादी

हमे गर्व करना चाहिए की हम आज़ाद देश के निवासी है,और हमे सबसे बड़ी आज़ादी अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी मिली है जिससे हम आपनी सोच को अभिव्यक्त कर सकते है चाहे वो हमारी सोच सार्थक हो या निरर्थक.....
हमे एहसानमंद होना चाहिए उनका जिनके बलिदान से हम,हमारा देश आज़ाद हुआ...

शनिवार, 11 अगस्त 2012

बचपन

बचपन कौन नही चाहता वापस लौट आए क्योंकि बचपन मे किसी प्रकार का कोई भी टेंसन नहीं होता है हर माँग पूरी हो जाती है ..... बचपन के खेल हमेशा याद आते है क्योंकि बचपन तो बचपन ही होता है ,बचपन की छूटी ख्वाहिसे शायद ही कभी पूरी हो पाती है पर आपने बच्चों के खेलों को देख फिर बचपाना वापस आ उठता है 

शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

खुखरी


खुखरी जिसे आप मशरूम भी कहते है इसे छोटानागपुर मे खुखरी के रूप मे भी जाना जाता है , पौष्टिकता से भरपूर खुखरी ....आप जानते है इस खुखरी का दाम राँची मे 400 किलो है तो बेड़ो मे 250 किलो खूंती मे 160 किलो ...वाह रे खुखरी......