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रविवार, 11 जनवरी 2009

ब्यंग "देखो कुत्ता .... कर रहा है ..

मैं सबसे पहले उन लोगो से माफ़ी मांग ले रहा हूँ ,जिन्हें यह पढ़कर अश्लील आ असभ्य लगे...
अब मै अपनी बात शुरू करता हूँ मेरी किस्मत आज कुछ ज्यादा ही ख़राब थी,मुझे बड़ी जोर की लघुशंका लगी थी,मैंने देखा कई लोग खुली सड़क के किनारे दीवाल के पास लघुशंका निवृत हो रहे है.
मै भी उस दीवाल के पास पहुचा की मेरे पैर थम गए ,दीवार पे लिखा था यहाँ .......... करना मना है.. मै क्या करता पढ़ा - लिखा, ग्रेजुएट ..किसी जाहिल की तरह वही पर तो लघुशंका नही कर सकता था , लोग क्या सोचेंगे खैर ..... थोडी दूर आगे बड़ा , प्रेशर जोर की थी .. आगे कुछ दूर पर किनारे की तरफ़ एक दीवाल दिखाई दी उसके नीचे से नाली बह रहा था मुझे यह जगह अच्छी लगी , मै वह पहुचा.. पर यह क्या ..यहाँ भी वही पैगाम बल्कि यहाँ तो जोरदार तरीके से लिखा था .. यहाँ ....करने पर २०० रुपैया जुर्माना लगेगा... मै सोचने लगा ये क्या बात हुई ..बड़ी अजीब बात है गाड़ी नो पार्किंग में लगे तो ट्राफिक वाला तो ९०/- रुपया ही चार्ज करता है परन्तु यहाँ नो पार्किंग पर २००/- तो ज्यादा है, मै किसी तरह आपने प्रेसर को अड्जेस्ट करता हुआ आगे की तरफ़ निकल पड़ा शायद कोई बढ़िया ज़गह दिखे तो मै आपनी 'प्रेशर' वहीँ छोड़ आऊं . करीब १२० सेकेंड के बाद एक सुरछित ज़गह दिखाई पड़ी , जैसे ही मैंने वहां पहुँच कर आपनी zip खोली ही थी कि किसी की कड़कदार आवाज़ सुनाई पड़ी .. पीछे मुड कर देखा तो.. कोई रिक्शेवाला को आवाज़ दे रहा था मैंने चैन की साँस ली.. पर यह क्या यहाँ भी दीवाल पर लिखा था यहाँ पर ..... करने पर मार पड़ेगी ..मेरी हालत तो वैसे ही ख़राब थी इस चेतावनी को पढ़ कर तो मेरी स्थिति और भी नाज़ुक हो गई पर मरता क्या न करता मुझमे प्रेशर रोकने की ताक़त नही थी और मुझे मालूम है की आपमें भी इसे रोकने की ताक़त नहीं होगी खैर.. मेरी स्तिथि तो इतनी ख़राब हो चुकी थी की, नल कभी भी खुल सकता था पानी की बुँदे कभी भी टपक सकती थी ... इतने मे मुझे याद आया की पास में ही तो सरकारी मूत्रालय है ,बेकार में ही मै परेशां हो रहा था, हमलोग की भी एक बेकार सी आदत है जब कभी खाली बैठेंगे या गप्पे मारेंगे तो सरकार को गाली जरुर बकेंगे ... अब देखिये सरकार हमलोगों का कितना ध्यान देती है सरकारी मूत्रालय बना कर रखी हुई है और हम है कि बेकार में ही परेशां हो रहे थे ... यह अलग बात है कि अख़बार वाले सरकारी मूत्रालय घोटाले पर क्या-क्या नही छापे ....अख़बार वाले के हिसाब से देखे तो इस पर कितने नेताओ,अफसरों, कलर्क ठीकेदार सभी को लाखो का मुनाफा हुआ ..पर कोई मेरी नज़र से तो देखो ,मेरे प्रेशर कि नज़र से तो देखो ..तब पता चलेगा नगर निगम वालों ने कितना अच्छा काम कि है ..सरकारी मूत्रालय खोल रखे है .. नही तो तेरा क्या हाल होता खन्ना, इज्ज़त का फलूदा तो निकल ही जाता मै सरकारी मूत्रालय के अन्दर जा घुसा कि वहां कि हालत देख मेरा माथा धूम गया... लगता है सरकारी मूत्रालय को कई लोगों ने संडास बना दिया था , .. इधर-उधर बिखरे परे थे ..छी.. छी.. इतना गन्दा एक तो मेरी हालात ....कि प्रेशर से ख़राब थी और ऊपर से ये सब ..किसी तरह वहां से निकला और बर्दाश्त कि हद तो पार हो चुकी थी झट एक दीवाल के नीचे खड़ा होकर ...कि प्रेशर को छोड़ दिया ......साँस रोका और थोडी देर में एक लम्बी साँस छोड़ी ...फ़िर एक लम्बी साँस लिया ...वाह .. आनंद आ गया ..कितना आराम लगता है ..आप सभी ने भी तो इस आराम को कई बार अनुभव किया होगा ...मै पीछे कि तरफ़ मुड कर वह से निकल पड़ा ...कुछ कदम चलने के बाद मैंने सोचा उस दीवाल को कम से कम धन्यवाद् तो दे दूँ ..उस दीवाल ने मेरी इज्ज़त बचा ली नहीं तो आज कुछ भी हो सकता था ...मै दीवाल को धन्यवाद् देने के लिए जैसे ही मुड़ा कि मेरे शब्द मेरी ज़ुबां पर ही अटक गए ... दीवाल पर लिखा था "देखो कुत्ता ....... कर रहा है"

4 टिप्‍पणियां:

  1. achaa prayas kiya hai aap ne suraj ji ... achee vyangkar hai aap...

    mere(Tripuresh) ke taraf se aap ko shubhkamnaye

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  2. वाह...वाह .....वाह सूरज भाई.....आअके प्रेशर ने हमारी भी साँस एक बारगी रोक ही दी थी....वैसे अब हम देखो कुत्ता......कर रहा है...की और से आँखे मूंद ही लेते हैं....और प्रेशर निकल जाने का आनंद ले लेते हैं.....आपका प्रेशर इतना लाज़वाब लगा....कि.....अब छोडिये भी....हम दुआ करेंगे कि आपको वैसा प्रेशर दुबारा ना लगे...बहुत ही उम्दा व्यंग्य लिखा आपने....बड़ी जटिल सी प्रक्रिया पर बड़ा ही सरल व्यंग्य....बचाई हो आपको....!!

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