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रविवार, 18 जनवरी 2009

नाटक: चरणदास चोर का मंचन


हबीब तनवीर द्वारा लिखित,संजय लाल द्वारा निर्देशित एवं देशप्रिय क्लब,रांची द्वारा प्रस्तुत नाटक चरणदास चोर का मंचन पिछले दिनों किया गया . चरणदास चोर एक ऐसे चोर की कहानी है जो मजाक ही मजाक में आपने गुरूजी को सच बोलने का प्राण दे देता है साथ ही चार और प्रतिज्ञा कर लेता है की कभी सोने की थाली में नही खाएगा न ही कभी किसी रानी से शादी करेगा, न ही कभी किसी जुलुस में हाथी पर बैठ कर निकलेगा , न ही कभी किसी देश का राजा बनेगा . और बिना कोई झूठ बोल कर चरनदास चोरी करता है उसके ईमानदारी का डंका पुरे देश में ब़ज उठता है .वह अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी चोरी राजमहल के खजाने से करता है , उसकी सच्चाई से रानी उस पर मर मिटती है और उस से शादी करना चाहती है परन्तु गुरु को दिए वचन के अनुसार चरणदास मना कर देता है जिससे गुस्से में आकर रानी उसे मौत की सज़ा देती है आपने गुरु को दिए वचन को निभाते हुए चरणदास मौत को गले लगा लेता है. मूल रूप से चरणदास चोर एक छतीसगडी नाटक है जिसके मंचन देशभर में होते रहते है .इस प्रस्तुति में सभी कालकारो ने अपनी भूमिका को अच्छी तरह निभाया , खास कर गुरु की भूमिका में दीपक चौधरी ने काफी प्रभावित किया. एक अच्छी नाटक की प्रस्तुति के लिए संजय लाल और उसके टीम के लोग बधाई के पात्र है

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