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रविवार, 24 मई 2009

बिना प्याज़-लहसुन के

ये बड़ा ही मजेदार घटना है ,साथ ही एक नया तरह का मजाक जिसकी कल्पना या ब्याखा भी काफी मज़ेदार है। मेरे एक मित्र हैं मिश्रा जी ,ब्राह्मण है शुद्ध शाकाहारी ... मिश्रा जी तो खानपान में प्याज़-लहसुन ले लेते है परन्तु मैडम मिश्रा का प्याज़-लहसुन से परहेज़ है अत: घर से बाहर खान-पान नहीं करती है या कभी बाहर जाना हुआ तो एक तरह से उनका उपवास हो जाया करता है ....घटना ये है की मिश्रा जी को किसी एक बंगाली मित्र ने अपने घर शादी में दावत दी और उन्हें फैमिली संग आने को जोर दिया तो मिश्रा जी ने उन्हें स्पष्ट बता दिया की उनकी पत्नी बिना प्याज़-लहसुन के है इस पर उनके मित्र ने बताया की उनकी दादी भी बिना प्याज़-लहसुन की है बस मिश्रा जी ख़ुशी -ख़ुशी उनके घर दावत पर पहुँच गए। खाने के वक़्त सभी लोग साथ बैठ गए खाना परोसा जाने लगा पहले चावल फिर दाल ..फिर सब्जी उसके बाद तली हुई मछली मैडम मिश्रा की थाली में रखी गई अब तो मैडम मिश्रा की हालत मछली देख ख़राब हो गई और मिश्रा जी को तो काटो तो खून नहीं वाली स्तिथी हो गई सामूहिक भोज में बैठे थे उठ भी नहीं सकते प्रतिष्ठा का प्रश्न था किसी तरह कुछ मिनट समय काट निकल चले की उनके बंगाली मित्र मिले मिश्र जी बोल उठे क्या मजाक है मैंने पहले ही कहा था की मेरी पत्नी बिना प्याज़-लहसुन के है और तुम ये ..... उनके मित्र को कुछ समझ में नहीं आया उसने बड़ा ही मासूम स्वर में कहा हमारे खाने में तो प्याज़-लहसुन तो थी ही नहीं .... दरअसल बंगाली समुदाय में मछली को शुभ माना जाता और मछली बिना प्याज़-लहसुन के तल के बनाई गई थी और मिश्र जी बिना प्याज़-लहसुन का मतलब तो आप समझते ही है

4 टिप्‍पणियां:

  1. सच मे मज़ा आ गया बिना प्याज़ और लहसून के।

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  2. अजब संयोग है, आज ही बांग्ला-हिंदी के घालमेल की थाली मैंने भी परोसी है। स्वागत है।

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  3. मछली कोई प्याज लहसुन थोड़े ही है।

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  4. प्लेन में भी गर हिन्दु मील की जगह वेजेरियन लिखवा दो तो उबली मछली ले आते हैं. (बिना प्याज लहसुन की :))

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